रविंद्र प्रसाद मिश्र

Mainpuri Lok Sabha by-election: सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) के निधन के बाद खाली मैनपुरी लोकसभा सीट (Mainpuri Lok Sabha by-election) से अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने पत्नी डिंपल यादव (Dimple Yadav) को प्रत्याशी बनाकर पार्टी और परिवार की प्रतिष्ठा दांव पर लगा दिया है। हालांकि रामपुर-आजमगढ़ जैसे सपा (Samajwadi Party) का गढ़ गंवाने के बाद अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) को अब अपनी गलती का एहसास हो गया है। शायद यही वजह है कि मैनपुरी में पत्नी डिंपल यादव (Dimple Yadav) के प्रचार का जिम्मा वह खुद संभाल रहे हैं। हालांकि डिंपल यादव (Dimple Yadav) के बयानों व भाषणों पर गौर किया जाए तो वह राजनीतिक खांचे में फिट नहीं बैठती। ऐसे में बीजेपी अगर उनकी देवरानी अपर्णा यादव को यहां से प्रत्याशी बनाती है, तो सपा (Samajwadi Party) के सामने अपना गढ़ बचाने की चुनौती खड़ी हो सकती है।

गौरतलब है कि सपा में अखिलेश राज (Akhilesh Yadav) के बाद हाशिए की राजनीति पर आ चुके शिवपाल यादव (Shivpal Yadav) बड़े भाई मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) के निधन के बाद बार-बार कहते नजर आए कि उन्हें अगर पार्टी में कोई दायित्व मिलता है, तो उसे स्वीकारने को वह तैयार हैं। राजनीतिक जानकारों की मानें तो शिवपाल यादव (Shivpal Yadav) ने मैनपुरी लोकसभा सीट (Mainpuri Lok Sabha by-election) को देखते हुए ऐसे बयान दे रहे थे। वहीं अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने चाचा शिवपाल यादव (Shivpal Yadav) को कोई तवज्जों न देकर यह साबित कर दिया है कि वह किसी तरह के समझौते के पक्ष में नहीं हैं।

हालांकि राजनीतिक दृष्टि से देखा जाए तो यह अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की बड़ी गलती मानी जाएगी। क्योंकि मैनपुरी (Mainpuri Lok Sabha by-election) की कमान डिंपल (Dimple Yadav) की जगह शिवपाल यादव (Shivpal Yadav) को मिली होती तो परिणाम कुछ और आते। ऐसे में अगर शिवपाल यादव कहीं विरोधी रुख अपनाते हैं, तो बीजेपी सपा (Samajwadi Party) के अभेद दुर्ग मैनपुरी को भेदने में सफल हो सकती है। बता दें कि अखिलेश यादव ने रामपुर और आजमगढ़ में चुनाव प्रचार न करने की वजह भी बताई थी, लेकिन इसबार ऐसा नहीं है। गढ़ बचाने के लिए अखिलेश यादव और संगठन के बड़े नेता इस बार चुनावी प्रचार भी करेंगे और डिंपल को जिताने के लिए पूरी कोशिश करेंगे।

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हालांकि चुनावों में पार्टी को लगातार मिल रही हार के लिए अखिलेश यादव हर बार जहां हर बार इसका ठीकरा सत्ता का दुरुपयोग का अरोप लगाते हुए अधिकारियों पर फोड़ते थे। वहीं इस बार मैनपुरी लोकसभा चुनाव (Mainpuri Lok Sabha by-election) में उनकी सक्रियता बता रही है कि केवल आरोप मढ़ने से वह चुनाव नहीं जीत पाएंगे। इसके लिए उन्हें जनता के बीच जाना होगा। ट्वीटर पर आरोपों का पुल बांधने से कुछ नहीं होने वाला, जनता को सरकार की खांमियों के बारे में बताना पड़ेगा।

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