रवींद्र प्रसाद मिश्र

Lucknow News: मैनपुरी की चुनौती से समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) को उबार कर शिवपाल सिंह यादव (Shivpal Yadav) यह संदेश देने में सफल रहे हैं कि पार्टी को आगे बढ़ना है तो उन्हें साथ लेकर चलना पड़ेगा। इस बात का भान सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) को भी हो गया है। बिना शिवपाल यादव के चुनावों में समाजवादी पार्टी की जो दुर्गति हुई, उसका दर्द पार्टी के हर नेता को है। फिलहाल चाचा शिवपाल यादव से अखिलेश की बढ़ती नजदीकियों से यह कयासबाजी तेज हो गई है कि जल्द उन्हें पार्टी में अहम जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। राजनीतिक गलियारों में शिवपाल यादव (Shivpal Yadav) को सपा का राष्ट्रीय महासचिव बनाए जाने की चर्चा तेज हो गई है।

माना जा रहा है प्रदेश में भाजपा के खिलाफ आंदोलन को तेज करने के लिए पार्टी शिवपाल यादव को यह जिम्मेदारी सौंप सकती है। इसके साथ ही शिवपाल यादव (Shivpal Yadav) के बेटे आदित्य यादव को भी पार्टी में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिलनी तय मानी जा रही है। गौरतलब है कि सोमवार को अखिलेश यादव इन्हीं सब मुद्दों को लेकर चाचा शिवपाल यादव से मुलाकात की है। बताया जा रहा है इस दौरान पार्टी को मजबूती देने के लिए काफी मंथन किया गया। ज्ञात हो की मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में सपा की जीत के बाद शिवपाल यादव ने अपनी पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) का समाजवादी पार्टी में विलय कर दिया था।

गौरतलब है कि पिछले दिनों अखिलेश ने मीडिया के सवाल पर कहा था कि शुभ दिन आने के बाद संगठन का विस्तार करेंगे। सोमवार को अखिलेश यादव अचानक से राजधानी लखनऊ स्थित चाचा शिवपाल यादव के घर पहुंचे और करीब 45 मिनट तक उनके साथ सियासी मंथन भी की। इससे यह लगने लगा है कि सपा का वह शुभदिन जल्द आने वाला है। सूत्रों की मानें तो शिवपाल व आदित्य के अलावा उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाले नेताओं को भी सपा में समायोजित करने पर सहमति बनी।

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पार्टी सूत्रों की मानें तो इस बार सपा के राष्ट्रीय एवं प्रदेश कार्यकारिणी में कुछ नए चेहरों को जगह मिल सकती है। नए पदाधिकारियों को लेकर भी अखिलेश और चाचा शिवपाल यादव के बीच चर्चा हुई है। पार्टी के रणनीतिकारों का कहना है कि शिवपाल यादव के नेतृत्व में भाजपा के खिलाफ जिलेवार आंदोलन शुरू किया जा सकता है। सपा निकाय चुनाव के साथ लोकसभा चुनाव में भी पार्टी का धमाकेदार जीत दिलाने की रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है। इसके लिए शिवपाल यादव को मैदान में उतारना जरूरी माना जा रहा है। गौरतलब है कि शिवपाल यादव पहले ही बयान दे चुके हैं कि अखिलेश यादव उनके नेता हैं और पार्टी को आगे बढ़ाने की उनमें पूरी क्षमता है।

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