लखनऊ: क्षेत्र कोई भी आपका सिक्का तभी चलेगा जब आपका वर्चस्व बना रहेगा। यही वजह है कि हर कोई धनबल, बाहुबल से अपना रसूख बनाने की कोशिश करता है। यदि आप दोनों में सक्षम हैं तो लोग आपकी बुराइयों को नजंदाज करके आपको अपनाने में कोई परहेज नहीं करते, लेकिन जब आपका समय खराब होता है तो गैरों की बात छोड़िए आपके अपने दूरी बना लेते हैं। सियासत में इसी तरह का एक नाम मुख्तार अंसारी का भी होता दिख रहा है। यह वही मुख्तार अंसारी हैं जिनका न सिर्फ अपराध जगत में सिक्का चलता था बल्कि राजनीतिक दल भी इन्हीं के इशारे पर चलते थे। एक समय था जब सपा-बसपा ने मुख्तार अंसारी के सभी अपराधों को नजरंदाज करके मुख्तार अंसारी को प्रत्याशी बनाया। मगर बदले हालात को देखते हुए बसपा ने इस बार मुख्तार अंसारी का टिकट काट दिया है।

बसपा सुप्रीमो ने ट्वीट कर माफिया मुख्तार अंसारी के टिकट काटे जाने की जानकारी दी है। उन्होंने लिखा है कि बीएसपी का अगामी यूपी विधानसभा आमचुनाव में प्रयास होगा कि किसी भी बाहुबली व माफिया आदि को पार्टी से चुनाव न लड़ाया जाए। इसके मद्देनजर ही आजमगढ़ मण्डल की मऊ विधानसभा सीट से अब मुख्तार अंसारी का नहीं बल्कि यूपी के बीएसपी स्टेट अध्यक्ष भीम राजभर के नाम को फाइनल किया गया है। जनता की कसौटी व उनकी उम्मीदों पर खरा उतरने के प्रयासों के तहत ही लिए गए इस निर्णय के फलस्वरूप पार्टी प्रभारियों से अपील है कि वे पार्टी उम्मीदवारों का चयन करते समय इस बात का खास ध्यान रखें ताकि सरकार बनने पर ऐसे तत्वों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई करने में कोई भी दिक्कत न हो।

उन्होंने आगे लिखा कि बीएसपी का संकल्प ‘कानून द्वारा कानून का राज’ के साथ ही यूपी की तस्वीर को भी अब बदल देने का है ताकि प्रदेश व देश ही नहीं बल्कि बच्चा-बच्चा कहे कि सरकार हो तो बहनजी की ‘सर्वजन हिताय व सर्वजन सुखाय’ जैसी तथा बीएसपी जो कहती है वह करके भी दिखाती है यही पार्टी की सही पहचान भी है।

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बता दें कि उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार ने अपराधियों पर शिकंजा कस कर इसका एक नजीर पेश किया है। राजनीतिक दलों की तरफ से योगी आदित्यनाथ की ठोको नीति का चाहे जितना विरोध किया गया हो, पर जनता को उनका यह अंदाज पसंद आया है। इसी का नतीजा है कि बाहुबली जैसे नेताओं को टिकट देने से इस बार बसपा परहेजा कर रही है। मुख्तार के रसूख का जिस तरह योगी आदित्यनाथ ने खत्म किया है, वह साहस आज तक किसी पार्टी ने दिखाने की हिम्मत नहीं कर पाई थी। हालांकि अपराधियों और कुशल प्रशासन के लिए बसपा सरकार भी बेहतर मानी गई है।

बसपा सरकार में अपराधी और अधिकारी दोनों में भय बना रहता था। फिलहाल मायावती ने मुख्तार अंसारी का टिकट काटकर सपा को आइना दिखाया है। क्योंकि राजनीति में अपराधीकरण का जो प्रश्रय समाजवादी पार्टी ने किया है वह आज तक किसी दूसरे दल ने नहीं किया। हालांकि अपराधी किस्म के नेताओं से कोई भी पार्टी मुक्त नहीं है। हर दल में अधिकत्तर जनप्रतिनिधि अपराध से मिलान करते हैं। लेकिन इसके लिए पार्टी से ज्यादा जनता जिम्मेदार है, क्योंकि ऐसे अपराधियों को जिताने में जनता का ही हाथ होता है। जनता जिसे चुनेगी वहीं जनप्रतिनिधित्व करेगा।

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