नई दिल्ली: प्रख्यात फिल्म समीक्षक (Eminent Film Critic) एवं वरिष्ठ पत्रकार अनंत विजय ने ‘फिल्म समीक्षा’ विषय पर विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि किसी भी फिल्म की समीक्षा (film review writing) लिखने के लिए कौशल और हुनर का होना बेहद जरूरी है। (movie critic jobs) उन्होंने कहा कि सिनेमा प्रभावशाली माध्यम है, इसलिए समीक्षक के लिए यह आवश्यक है कि फिल्म समीक्षा भी प्रभावकारी हो। अनंत विजय शुक्रवार को भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) द्वारा आयोजित कार्यक्रम ‘शुक्रवार संवाद’ को संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम में आईआईएमसी के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी, डीन (अकादमिक) प्रो. गोविंद सिंह एवं डीन (छात्र कल्याण) प्रो. प्रमोद कुमार सहित आईआईएमसी के सभी केंद्रों के संकाय सदस्य एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।

‘बेस्ट फिल्म क्रिटिक’ का राष्ट्रीय पुरस्कार जीत चुके अनंत विजय ने कहा कि फिल्म बनाने से पहले सबसे जरूरी होता है किसी भी आइडिया पर चर्चा करना। (movie critic jobs) आइडिया को डेवलप करने के बाद हम फिल्म निर्माण की तरफ बढ़ते हैं। फिल्म समीक्षा (film review writing) का पहला और महत्वपूर्ण हिस्सा है स्क्रीनप्ले यानि पटकथा। हॉलीवुड के प्रसिद्ध निर्देशक और फिल्म निर्माता एल्फ़्रेड हिचकॉक का उदाहरण देते हुए विजय ने कहा कि हिचकॉक से जब पूछा गया कि एक अच्छी फिल्म का फॉमूर्ला क्या है, तो उन्होंने कहा स्क्रीनप्ले। आपकी पटकथा जितनी अच्छी होगी, आपकी फिल्म भी उतनी ही अच्छी होगी।

अनंत विजय से जब फिल्मों के हिट और फ्लॉप होने के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि एक फिल्म को एक स्क्रीन पर रिलीज करने में लगभग 32,000 रुपये का खर्च आता है। किसी भी फिल्म की लागत और उसके कलेक्शन के आधार पर फिल्म (movie critic jobs) को हिट और फ्लॉप घोषित किया जाता है। उन्होंने कहा कि आज हम तकनीक की बात करते हैं। तकनीक से आप उत्कृष्टता तो प्राप्त कर सकते हैं, लेकिन संवेदना या संवेदना के भावों को प्रस्तुत नहीं कर सकते। फिल्म समीक्षा के माध्यम से किसी भी समीक्षक (film review writing) को फिल्म के गुण और दोष दोनों के बारे में बताना चाहिए।

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फिल्म रिव्यू, क्रिटिसिज्म और एप्रिसिएशन बीच के अंतर को समझाते हुए अनंत विजय ने कहा कि इन तीनों में आकार, प्रकार, सोच, समझ और आयाम का अंतर है। रिव्यू एक फूल है, क्रिटिसिज्म एक गुलदस्ता है और एप्रिसिएशन गुलदस्तों का समूह है। भारतीय फिल्मों के ऑस्कर न जीतने के सवाल पर उन्होंने कहा कि भारत की संस्कृति और सभ्यता को समझने में अभी ऑस्कर कमेटी को काफी वक्त लगेगा। उन्होंने कहा कि ऐतिहासिक फिल्मों की समीक्षा के वक्त ‘कथ्य’ की जगह ‘तथ्य’ का ध्यान रखना आवश्यक है। कार्यक्रम में स्वागत भाषण जम्मू कैंपस के क्षेत्रीय निदेशक प्रो. राकेश गोस्वामी ने दिया एवं धन्यवाद ज्ञापन आइजोल कैंपस में अकादमिक सहयोगी डॉ. सीएल किमी ने दिया।

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