Diwali 2023: दीपावली की कार्तिक अमावस्या की रात होने से तंत्रोक्त सिद्धिया प्राप्त करने का और अपनी राशी के लिए शुभयंत्र को सिद्ध करने का, गणपति, लक्ष्मी, पद्मावती, इंद्र, काली और कुबेर देवता आदि के पूजन और साधना के लिए शुभ समय है। इस समय में आप गुरु से प्राप्त मन्त्र द्वारा साधना करें, तो सफलता और सिद्धि अवश्य ही मिलेगी और पूरा साल आपके भाग्योदय का शुभ योग बना रहेगा। लेकिन हर राशी का व्यक्ति अपनी ही राशी के अनुसार देवी-देवता का, यंत्रों का और मंत्रों का पूजन और स्मरण करें, तो ही सालभर सुख समृद्धि को प्राप्त कर पायेगे और जीवन में आ रही समस्याओं से मुक्ति पा सकेंगे।

पूजन सामग्री

महालक्ष्मी की पूजा करने वालों को लक्ष्मी सरस्वती और गणेश जी की तस्वीर रखकर विधिवत पूजा कर सकते हैं। एक पाट, लाल कपड़ा, मोली, कुमकुम, चन्दन, पंचामृत, शुद्ध जल, घी का दीपक, अगरबत्ती, कपूर, लौंग, इलायची, दूध से बनी मिठाई, घर में पकाए हुए पकवान, ऋतुफल (सेव, केले, मतिरा, सिंघोड़े, सीताफल) खिल-बतासे, फूल और फूल हार, चुन्नरी, घंटी, कुम्भ, दो पानी-वाले श्रीफल, दरवाजे पर तोरणद्वार, गोटा, अबीर गुलाल, सेंट, सोने चांदी या एक दो पांच दस के सिक्के, जेवर नगदी धन आदि।

पूजन करने की विधि

सबसे पहले जमींन को शुद्ध करके और लाल गेरू से पोतकर उसमें सफ़ेद मिट्टी से मांडना मांडकर उस पर पाट को रखे, फिर उस पर लाल कपड़ा बिछाकर उसके ऊपर ईशान कोण में कुम्भ की स्थापना करे। फिर माता लक्ष्मी की फोटो की स्थापना करे, और सामने एक थाली रख दें। फिर दीपक जलाकर स्थान शुद्धि का मंत्र–ॐ अमृते अमृत भवे अमृत वर्षिणी अमृत वर्षये वर्षये स्वाहः- पढ़कर स्थान और फिर सभी सामान पर पानी छिड़कर शुद्ध करें और फिर माता का ॐ ह्रीं श्रीं क्लिं महालक्ष्म्ये अत्र आगच्छ आगच्छ अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः ठः तीन बार बोलें।

एक सफ़ेद कागज़ और लाल पेन, कॉपी या नयी डायरी अपने पास रखें। एक थाली में चांदी के और कुछ एक एक रुपये के सिक्के और अगर नोटों की गड्डी हो, तो वो भी और घर में सोने चांदी के गहने आदि सभी अलग-अलग थाली में सजाकर रखें।

शुद्धिकरण मंत्र- ॐ अमृते अमृत भवे अमृत वर्षनी अमृत वर्षये वर्षये स्वाह| (इस मंत्र को तीन बार पढ़कर स्थान पर और समान पर छिड़के)

आह्वान मंत्र- ॐ ह्री श्रीं महालक्ष्म्ये अत्र आगच्छ आगच्छ अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः ठः। (इस मंत्र को तीन बार बोलते हुए आह्वान करें)

फिर जल के छीटें से शुद्ध करें। इसके बाद कुमकुम, चन्दन, सेंट, चुन्नरी, फल, मिठाई आदि इस प्रकार से माता को समर्पित करें।

जैसे जल को समर्पण करने के लिए

ॐ ह्रीं श्रीं क्लिं महालक्ष्म्ये जलं समर्पयामि। (जल चढ़ाये )

ॐ ह्रीं श्रीं क्लिं महालक्ष्म्ये कुमकुम समर्पयामि। (कुमकुम की टिक्की लगाये सभी सामान पर)

ॐ ह्रीं श्रीं क्लिं महालक्ष्म्ये चन्दनं समर्पयामि। (चन्दन की टिकी लगाये, सेंट आदि लगाये)

ॐ ह्रीं श्रीं क्लिं महालक्ष्म्ये वस्त्रं समर्पयामि। (चमकीली लेश से सलमा सितारों से सजी हुई चुनरी ओढ़ाये)

ॐ ह्रीं श्रीं क्लिं महालक्ष्म्ये अक्षतं, फूलं, फूलहार समर्पयामि। (खुशबूदार फूलों का हार पहनाए)

ॐ ह्रीं श्रीं क्लिं महालक्ष्म्ये दीपम समर्पयामि। (बड़े थाल में ग्यारह इक्कीस दीपक जलाकर घुमाए )

ॐ ह्रीं श्रीं क्लिं महालक्ष्म्ये धूपं समर्पयामि। (खुशबूदार धुप घुमाए )

ॐ ह्रीं श्रीं क्लिं महालक्ष्म्ये फलं समर्पयामि। (अनेक प्रकार के ताजे और रसदार फल भेंट करे )

ॐ ह्रीं श्रीं क्लिं महालक्ष्म्ये नेवेध्यम समर्पयामि। (घर में बनाए सभी पकवान और ताज़ी मिट्ठाई चढ़ाए)

ॐ ह्रीं श्रीं क्लिं महालक्ष्म्ये दक्षिणा समर्पयामि। (माताजी के आगे रखे हुए चांदी के सिक्के और रुपये और धन दौलत जेवर आदि का पूजन करे और उसमें अपनी तरफ से भी नगद दक्षिणा भेंट चढ़ाएं। इतनी पूजा कर लेने के बाद एक सफ़ेद कागज़ पर श्री शब्द को ऊपर से नीचे की तरफ नौ लाइनों में इस क्रम में लिखना चाहिए जैसे कोई पहाड़ हो।

श्री
श्री श्री
श्री श्री श्री
श्री श्री श्री श्री
श्री श्री श्री श्री श्री
श्री श्री श्री श्री श्री श्री
श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री
श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री
श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री

इस प्रकार से नौ लाइनों में लिखना है और इसके नीचे क्रम से इस प्रकार लिखे-

ॐ ह्री श्री नमः,
श्री भरत चक्रवती की पदवी होवे,
श्री क्यवन्ना जी का सुख सोभाग्य होवे,
श्री सरस्वती जी की कृपा होवे,
श्री बाहुबली जी का बल होवे,
श्री अभय कुमार जी की बुद्धि होवे,
श्री धन्ना शालिभद्र जी की रिद्धि होवे,
श्री यति महाराज जी नी सिद्धि होवे,
ॐ ह्रीं श्री ऋषभ जिनाय नमः,
ॐ ह्रीं श्रीं महावीर जिनाय नमः।

इतना लिखने के बाद फिर कुमकुम के छींटे देते हुए माता जी का मंत्र बोलते रहना है। और अंत में एक थाली में सिक्के सजाकर उसको ..ॐ ह्री श्री क्लिं महालाक्ष्म्ये नमः का मंत्र बोलते हुए पहले कच्चे दूध से फिर पंचामृत से और फिर शुद्ध जल से धोकर के साफ़ कपड़े से पोंछकर फिर सजा ले और मंत्र बोलते हुए सभी सिक्कों और जेवरात पर कुमकुम का टीका लगाते जाएं।

इस प्रकार से पूजा करने के बाद एक धुपिये में गोटा रखे और उसमें कपूर रखकर खड़े होकर माता जी की आरती करें और पूरे घर में उस आरती को घुमाएं, आज के दिन घर के हर कोने में तेल के दीपक जलाकर रखें, कही भी अन्धकार नहीं रहना चाहिए। सब करने के बाद वहीं बैठकर माता के मंत्र की माला करने चाहिए। इस प्रकार से आज के दिन माता शारदा की साधना करने वाले को सरस्वती पूजन के बाद साधना करना चाहिए।

साधना करने के मंत्र

1- पद्मावती सोभाग्य मंत्र- ॐ ह्री श्रीं क्लिं ब्लूं पद्मावती मम वरं देहि देहि फट स्वाह।

2- आकस्मिक धन प्राप्ति मंत्र – ॐ ह्रीं श्रीं पद्मावती सर्वकल्याण रुपे रां रीं द्रां द्रीं द्रों नमेः।

3- राज्यभय दूर करने का मंत्र- ॐ ह्री पद्म वज्रे नमेः।

4- रोजगार प्राप्ति का मंत्र – ॐ ह्री पद्मे राज्य प्राप्ति ह्रीं क्लिं कुरुः कुरुः नमः।

5- व्यापार वृद्धि पद्मावती मंत्र- ॐ नमो भगवती पद्मावती सर्वजन मोहिनी।

सर्वकार्यकरणी मम विकट संकट संहारिणी।
मम महामनोरथ पूरनी मम सर्व चिंता चुरनी।

ॐ पद्मावती नमेः स्वाहः।

6- अन्य मंत्र – ॐ रक्ष माँ देवी पद्मे।

7 – ॐ ह्रीं श्रीं क्लिं क्लिं भगवती माँ पद्मावात्ये नमः।

8 – ॐ पद्मावती मम दर्शय दर्शय मनोरथ पूर्ण यशं देहि देहि स्वाहः।

9- आज का गुरुमंत्र – ॐ ह्रीं श्रीं यति शांति विजय गुरुभ्यो नमः।

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नोट- श्रीसूक्त और लक्ष्मिसुक्त में भी पद्मावती देवी का नाम आता है अर्थात माँ लक्ष्मी और माँ पद्मावती दोनों एक ही माता के अलग-अलग रूप है।

– सरस्वती मंत्र- ॐ ह्रीं श्रीं सरस्वती देवी विद्या बुद्धि यश देहि देहि नमः।

इस प्रकार से सब पूजन करने के बाद माता जी की आरती करनी चाहिए। आरती के लिए एक थाल लें उसमें दीपक, अगरबत्ती, धूप और एक पान का पत्ता थोड़े से चावल के ऊपर रखे और उस पर कपूर रखकर जलाए और आरती के थाल को माताजी के सामने घुमाते हुए आरती गाये।

पं. वेद प्रकाश तिवारी,
ज्योतिष एवं हस्तरेखा विशेषज्ञ
9919242815, निशुल्क परामर्श उपलब्ध

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