Bareilly News: मुंबई में संत शिरोमणी रविदास की जयंती पर संघ प्रमुख मोहन भागवत (mohan bhagwat) के ब्राह्मणों के प्रति बयान पर शहर के ब्राह्मणों में रोष है। आज भारी संख्या में इस संबंध में अखिल भारतवर्षीय ब्राह्मण महासभा के पदाधिकारियों ने राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन सिटी मजिस्ट्रेट की सौंपा। इस दौरान अखिल भारतवर्षीय ब्राह्मण महासभा के पदाधिकारियों ने बताया संघ प्रमुख मोहन भागवत (mohan bhagwat) द्वारा पंडितों पर जातियां बनाने का आरोप लगाकर देश में पंडितों के विरुद्ध अन्य जातियों को भड़काने वाला बयान निंदनीय है।

इस तरह के बयान पर सर्वोच्च न्यायालय ने अनेकों बार नेताओं के नफरती भाषणों पर रोक लगाने और पुलिस द्वारा स्वयं संज्ञान लेकर कड़ी कार्यवाही किये जाने का निर्देश दिया है। लेकिन उसके बाद भी संघ प्रमुख द्वारा जातियों बनाने हेतु पंडितों को आरोपित करना, जानबूझ कर देश की अन्य जातियों को पंडितों के विरुद्ध भड़काने, उकसाने का प्रयास है। जबकि पूरा देश जानता है कि पंडित सदैव कड़ी मेहनत से अर्जित ज्ञान के द्वारा समाज की रक्षा करते रहे हैं। प्राणियों में सदभावना हो, विश्व का कल्याण हो। वसुधैव कुटुम्बकम जैसे सर्व हितकारी शब्द पंडितों ने ही समाज को दिये हैं।

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स्वतंत्रता संग्राम हो या युद्ध का मोर्चा हो पंडितों ने सदैव सर्वोच्च त्याग और बलिदान देकर देश और समाज के प्रति अपना समर्पण सिद्ध किया है। पंडित समाज सृष्टि के संचालन में सदैव महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है। यह सब जानते हुये भी रविदास जयंती समारोह में जानबूझकर पंडितों पर आरोप लगाना भागवत जी की दुर्भावना को दर्शाता है। आज समाज में कहीं भी जातीय भेदभाव नहीं है। केवल सरकारी नीतियों में ही सर्वाधिक जातीय भेदभाव दिखाई देता है, शिक्षा, राजनीति, न्याय, नौकरी, प्रमोशन, उपचार, वजीफा आदि में घोर जातिवाद दिखाई देता है। लेकिन भागवत जी ने कभी भी सरकारी जातिवाद के विरुद्ध एक शब्द नहीं बोला बल्कि सरकारी जातिवाद को अनंतकाल तक आवश्यक बताया। आज समाज के संचालन में पंडितों की नहीं बल्कि सरकारों और राजनैतिक दलों की ही विशेष भूमिका है।

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