Ayodhya Ram Mandir: अयोध्या में भगवान श्री राम मंदिर (Ram Mandir) का भव्य निर्माण जारी है। मंदिर निर्माण कार्य को जल्द से जल्द पूरा करने पर काम चल रहा है। मंदिर को भव्य और दिव्य रूप दिए जाने को लेकर काम जारी है। अयोध्या राम मंदिर (Ram Mandir) में हिंदू शास्त्रों पर आधारित 3,600 मूर्तियों को स्थापित किया जाएगा। इसको लेकर श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट (Shri Ram Janmabhoomi Teerth Kshetra Trust) की तरफ से पत्थरों पर उकेरी जा रही मूर्तियों की तस्वीरें साझा की हैं। ये मूर्तियां अयोध्या में निर्माणाधीन भगवान राम मंदिर का हिस्सा होंगी। बताया जा रहा है अगले वर्ष तक अपने मूल स्थान पर स्थापित होने वाली भगवान रामलला की मूर्ति के के साथ हिंदू शास्त्रों पर आधारित 3,600 मूर्तियां राम मंदिर में स्थापित की जाएंगी।

श्री राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट ने ट्विटर पर तस्वीरों को साझा करते हुए लिखा, श्री राम जन्मभूमि मंदिर में स्तंभों, पीठिका तथा अन्य स्थानों पर सज्जित होने के लिए शास्त्रीय ग्रंथों में वर्णित कथाओं के आधार पर सुंदर मूर्तियों का निर्माण किया जा रहा है। इन मूर्तियों को निर्माण प्रक्रिया की सारिणी के अनुसार निर्दिष्ट स्थानों पर प्रस्थापित किया जाएगा।

51 इंच की होगी रामलला की मूर्ति

गौरतलब है कि राम मंदिर निर्माण का 50 फीसदी से ज्यादा कार्य पूरा हो चुका है। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के मुताबिक राम मंदिर 2023 के अंत तक आंशिक रूप से तैयार हो जाएगा। भगवान श्री राम का गर्भगृह दिसंबर, 2023 तक बनकर तैयार हो जाएगा। रामलला की मूर्ति 51 इंच की होगी, जो गर्भगृह में बने चबूतरे पर स्थापित होगा।

मंदिर ट्रस्ट के सूत्रों के मुताबिक, मूल रूप से ट्रस्ट की तरफ अधिग्रहित 67 एकड़ भूखंड की तुलना में राम मंदिर परिसर के आकार का विस्तार करके 110 एकड़ कर दिया गया है। ऐसा विभिन्न धार्मिक और वास्तु तत्वों को शामिल करने के लिए किया गया है। बता दें कि अयोध्या में पूरा राम मंदिर परिसर 1,000 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से बनाया जा रहा है।

इसे भी पढ़ें: प्रभु कृपा दिखाई नहीं देती…

राम मंदिर की दीवारें कई धार्मिक विषयों को दर्शाएंगी

अयोध्या राम मंदिर की भव्यता प्राचीन हिंदू मंदिरों से मिलता जुलता हो इसका पूरा प्रयास किया जा रहा है। यह कार्य ट्रस्ट के लिए एक कठिन चुनौती भी है। राम मंदिर की दीवारें कई धार्मिक विषयों को दर्शाएंगी। इन विषयों पर निर्णय नई दिल्ली में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के लोगों समेत धार्मिक प्रमुखों और कला विशेषज्ञों के एक समूह की तरफ से लिया जाएगा। प्रस्तावित योजना के मुताबिक दीवारों को जोड़ने के लिए स्टील के जोड़ों के बजाय तांबे के जोड़ों का उपयोग किया जा रहा है, क्योंकि उनमें जंग लगने का खतरा नही रहता।

इसे भी पढ़ें: दुनिया के लिए मिसाल है भारत और नेपाल की दोस्ती

Spread the news