लखनऊ: चारबाग स्थित एक स्थानीय होटल में युगधारा फाउंडेशन (Yugdhara Foundation) का पंचम स्थापना साहित्य समागम विचार गोष्ठी-साहित्य सम्मान तथा अखिल भारतीय कवि सम्मेलन (All India Kavi Sammelan) के साथ सम्पन्न हुआ। समिति की संस्थापक अध्यक्षा डाॅ. गीता अवस्थी ने सभी अतिथियों का स्वागत अभिनन्दन किया तथा प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि डाॅ. विद्या विन्दु सिंह पूर्व निर्देशक हिन्दी संस्थान लखनऊ ने तुलसी और वेदव्यास का उद्धरण देकर समकालीन साहित्य के परिवेश को आरेखित किया। आपके सम्मान मे अध्यक्ष ने कहा कि कूप को पानी पिलाकर क्या करोगे, धूप को ज्यादा धुलाकर क्या करोगे।

समारोह की अध्यक्षता कर रहे डाॅ. श्रीनिवास शुक्ल सरस सीधी मध्य प्रदेश ने अद्भुत अध्यक्षीय उद्बोधन समीक्षात्मक टिप्पणी के साथ चार चार पंक्तियाॅ देकर किया, जिसकी सराहना अतिथियों एवं साहित्यकारों ने खुलकर की। उन्होंने कहा कि सावन में सब हरे भरे रहते हैं, लेकिन, जेठ माॅस में हरा रहे यह और बात है। डाॅ. चन्दिका प्रसाद मिश्र ने परम्परा और संस्कृति के पोषण तथा नासिक से पधारे माध्यम पत्रिका के सम्पादक रामकृष्ण सहस्त्रबुद्धे ने साहित्यिक सामाजिक समन्वय के लिए मनुष्यता बोध की आवश्यकता जताई। आपके सम्मान में अध्यक्ष ने चार प॔क्तियाॅ दीं-” अस्मिता बीमार शैय्या पर पड़ी है, अब बताओ कौन बोलेगा गवाही।”

Sahitya Samman

वक्ता डाॅ. प्रेमलता त्रिपाठी ने कहा कि लेखकीय ऊर्जा में लोकहित होना चाहिए, वहीं सुरेश बाबू मिश्र ने भारत को विश्व गुरु बनने के सामर्थ्य को उद्धृत किया। डाॅ. अमिता दुबे ने साहित्यकारों को साहित्य के प्रति सजग रहने का संदेश दिया। प्रथम सत्र में लगभग सात पुस्तकों का विमोचन और सात लोगों को मानद सम्मान अध्यक्ष डाॅ. सरस तथा मुख्य अतिथि डाॅ. विद्या बिन्दु के कर कमलों से दिया गया। मंचीय सहयोग महासचिव सौम्या मिश्र अनुश्री, डाॅ. कुमुद श्रीवास्तव एवं रामकृष्ण सहस्त्रवुद्धे ने किया।

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दूसरे सत्र में कवि सम्मेलन सम्पन्न हुआ, जिसमें दो दर्जन से अधिक कवियो ने काव्य पाठ किया। अध्यक्षीय उद्बोधन के साथ डाॅ. सरस ने बघेली गजल पढ़ी और आभार ज्ञापन सौम्या मिश्रा महासचिव ने किया। कार्यक्रम में पत्रकार सुरेन्द्र अग्निहोत्री, अरुण नामदेव, शीतल कोकाटे बम्बई, चाॅदनी, रामनाथ साहू छग तथा देश के विविध प्रान्तों से आये कवियों ने काव्य पाठ किया। मंच का सराहनीय संचालन वन्दना श्रीवास्तव ने किया। पूरे कार्यक्रम में संचालन और अध्यक्षीय उद्बोधन के अद्भुत प्रणाली की चर्चा साहित्य समागम में विशेष उपलब्धि मानी गई।

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