देश की कौमी एकता को मजबूत आगाज दे गया संचेतना का 55वां राष्ट्रीय कवि सम्मेलन एवं मुशायरा

प्रतापगढ़: नगर के राजकीय इंटर कॉलेज के मैदान पर संचेतना की ओर से आयोजित 55वां राष्ट्रीय कवि सम्मेलन एवं मुशायरा देश की कौमी एकता को मजबूत आगाज दे गया। कवि सम्मेलन व मुशायरे का उद्घाटन भाजपा नेत्री सिंधुजा मिश्रा ने दीप प्रज्ज्वलन कर किया। वहीं बतौर मुख्य अतिथि भाजपा नेता शिवप्रकाश मिश्र सेनानी ने संचेतना के कवि सम्मेलन को प्रतापगढ़ से देश की एकता के लिए मजबूत संदेश करार दिया। सदर विधायक राजेन्द्र मौर्य विशिष्ट अतिथि रहे। कवि सम्मेलन व मुशायरे में प्रख्यात कवयित्री मीरा तिवारी की वाणी वंदना व मशहूर शायर नासिर जौनपुरी के द्वारा नातेपाक से आगाज हुआ।

इटावा के ओज कवि राम भदावर ने पढ़ा- तुमको भारत की बेटी में कमसिन कलियां दिखती होंगी, मुझको भारत की बेटी में भारत माता दिखती है। इस पर हजारों की तादात में जमा महफिल के बीच मादरेवतन जिंदाबाद के नारे गूंज उठे। झांसी के पंकज अभिराज ने भी… गमों की धूप भी इंसान को जरूरी है, अकेली छांव से पौधा हरा नहीं होता, को भी लोगों की जुबां पर तैरते देखा गया। पीलीभीत की सरजमीं से साहित्य की आवाज बनकर गूंजी अन्तर्राष्ट्रीय कवियत्री एकता भारती ने पढ़ा- हवाओं में अजाने गूंजती भजनों की संगति में खुदा और राम दोनों एक है गंगा के पानी में। लखनऊ से पधारी सोनी मिश्रा ने सुनाया- सिंधु की गहराई कोई नाप नहीं सकता, उसकी लहरों को कोई भाप नहीं सकता।

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बाराबंकी से पधारे हास्य कवि प्रमोद पंकज ने श्रोताओं को जमकर ठहाके लगवाये। इनकी पंक्ति बाबा बुलडोजर वाले, सीटों पर डाले ताले, जनता हुई है मेहरबान, बबुआ हुआ है परेशान, से लोगों को हास्य रस में सराबोर किया। देश की ख्यातिलब्ध शायरा शबीना अदीब का जादू प्रतापगढ़ पर सर चढ़ कर बोलता नजर आया। उन्होंने पढ़ा- अन्धेरों की हर एक साजिश यहां नाकाम हो जाये। उजाले हर तरफ हो रोशनी का नाम हो जाये। तो श्रोताओं ने खड़े होकर तालियां बजाई। कवि सम्मेलन एवं मुशायरे में आयोजक संस्था संचेतना के अध्यक्ष एवं जाने माने गजलकार डाॅ. अनुज नागेन्द्र ने भी जब पढ़ा- जहां में हिन्दुस्तान का नाम उंचा रहे हरदम, बुलंदी पर हमारे मुल्क का झंडा रहे हरदम, को भी प्रतापगढ़ के लोगों ने सर आंखों लिया।

कार्यक्रम में संस्था के महासचिव इं. चन्द्रकांत त्रिपाठी चन्द्र, रवीन्द्र अजनबी, कमरूज्जमा, अनूप अनुपम, गजेन्द्र सिंह विकट ने उत्तम काव्य पाठ किया व संचेतना के संस्थापक पं. दयाशंकर शुक्ल ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। कार्यक्रम का संचालन देश के जाने माने कवि शशिकांत यादव ने बहुत ही आकर्षक अंदाज में किया। भोर के तीन बजे तक चले संचेतना के इस महोत्सव में श्रेाताओं ने जमकर आनंद उठाया। इस मौके पर राकेश सिंह, धर्मशील शुक्ल, संजय शुक्ल आदि मौजूद रहे।

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