UP News: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के खिलाफ अब अपनो ने लामबंदी शुरू कर दी है। यह लामबंदी बेलगाम हो चुकी अफसरशाही को लेकर की जा रही है। सीएम योगी (Yogi Adityanath) की हिदायतों के बावजूद भी अधिकारी जन समस्याओं को लेकर उदासीन बने हुए हैं (BJP leaders raised questions on bureaucracy), जिसके चलते जनप्रतिनिधियों को जनता के गुस्से से दो चार होना पड़ रहा है। वहीं योगी सरकार (Yogi Adityanath) की तरफ से मिली छूट के चलते अधिकारी जनप्रतिनिधयों को भी भाव नहीं दे रहे हैं। बता दें कि योगी सरकार (Yogi Adityanath) अपनी दूसरी पारी के आगाज से ही अधिकारियों की कार्यशैली को लेकर विवादों में घिरी हुई है। पार्टी के अंदर से विधायकों, मंत्रियों, उप मुख्य मंत्रियों और सांसदों की कसक अब बाहर आने लगी है।

यूपी सरकार में मंत्री सूर्य प्रताप शाही (Surya Pratap Shahi) ने अलीगढ़ के जिला प्रशासन को लेकर विवादित बयान दिया है। उन्होंने कहा, कि जनता परेशान है। शहर की खराब व्यवस्था पर उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि यहां पर तो अफसर हरामखोरी करते हैं। वहीं दूसरी तरफ प्रयागराज में उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य (Keshav Prasad Maurya) ने अधिकारियों को कार्यप्रणाली सुधारने की हिदायत दी है। उन्होंने कहा कि अधिकतर समस्या बिजली, पानी, चिकित्सा, सड़क से जुड़ी हैं। अफ़सर टालने की आदत छोड़ें।

https://youtu.be/aztvFGgkfOk

इन सब बयानों से यह कयासबाजी शुरू हो गई है कि शायद योगी सरकार के खिलाफ एक लामबंदी की नई तैयारी हो चुकी है। आवाज़ अंदर से पार्टी के अंदर से उठने लगी है। मौका भी बाढ़ जैसा संवेदनशील है। अब नौकरशाही के हवाले से सीएम को घेरने का मजबूत प्लेटफार्म बनता दिख रहा है। हैरत नहीं, अगर ये आवाज़ जल्द ही कोलाहल में तब्दील हो जाये।

इसे भी पढ़ें: पीएम मोदी की मां पर बदजुबानी को लेकर केजरीवाल को दी चुनौती

गोंडा जनपद के कैंसरगंज के सांसद बृज भूषण शरण सिंह (Brij Bhushan Sharan Singh) भी मीडिया के सामने जिला प्रशासन को लेकर भड़के नजर आए। सांसद से जब पूछा गया कि आपकी सलाह क्या है, तो उन्होंने कहा कि उनकी तो बोलती ही बंद है। अगर कुछ बोलेंगे तो बागी कहलाएंगे। अगर हम कोई सुझाव देंगे तो उसपर अमल नहीं होगा। इसलिए बेहतर है हम चुप ही रहें। हम अपनी सरकार के खिलाफ क्या बोलें।

जानकारों की मानें तो योगी सरकार के खिलाफ भाजपा के अंदर बड़ा वर्ग एकजुट हो रहा है। ज्ञात हो कि योगी सरकार के पिछले कार्यकाल में भी 200 से अधिक विधायकों ने नाराजगी जताई थी। हालांकि इसे पार्टी के अंदर ही इसे सुलझा लिया गया था, अब एक बार फिर योगी के विरोध में लामबंदी तेज होती दिख रही है।

इसे भी पढ़ें: सांस्कृतिक पुनरूद्धार का स्वर्णिम कालखंड

Spread the news