Poem: देख सजनी! देख ऊपर
देख सजनी! देख ऊपर।। आ रही है मेघमाला।। बम सरीखी गड़गड़ाती,रेल जैसी दड़दड़ाती। इंजनों सी धड़धड़ाती, फुलझड़ी सी तड़तड़ाती।। पल्लवों को खड़बड़ाती,पंछियों को फड़फड़ाती। पड़पड़ाती पापड़ों सी, बोलती है कड़कड़ाती।।…
देख सजनी! देख ऊपर।। आ रही है मेघमाला।। बम सरीखी गड़गड़ाती,रेल जैसी दड़दड़ाती। इंजनों सी धड़धड़ाती, फुलझड़ी सी तड़तड़ाती।। पल्लवों को खड़बड़ाती,पंछियों को फड़फड़ाती। पड़पड़ाती पापड़ों सी, बोलती है कड़कड़ाती।।…
आ लौट चलें एक दिन नाचते-नाचते पता लगा यह जो यहां आता है, कुछ सकुचाता, कुछ घबराता है, वह राजकुमार है, लुटेरे वंश की गद्दी का अकेला हकदार है। दिमाग…
कोशिश करो कि बस बच जाएं इतनी सी भावनाएं कि युद्ध की विभीषिका के बीच जब चल रही हों दनादन गोलियां तोपों से बरस रही हो आग खंडहर में तब्दील…
पूरब दिशा में पीतांबर बाबा, तेज लिए रथ से अवतार। राजयोग की छाया जैसे, न्याय करें निष्कलंक विचार॥ तप की ज्वाला पूजा जिनकी, अवतारी माने सब ज्ञान। जप-यज्ञ के तेजस्वी…
नीलांचल पर्वत पर शोभित, एक नगर है शांत बड़ा, जहाँ भक्तगण भीड़ लगाए, करुण भाव में नयन भरा। पुरी नगरी पूज्य सदैव, तीर्थों में उत्तम सम्मान, जहाँ स्वयं भगवान रचाते,…
परिवर्तन ऐसा आया है, रहन सहन सब भव्य हो गए। भोलापन हो गया नदारद, कहने को हम सभ्य हो गए।। नर-नारी में होड़ लगी है, किससे आगे कौन रहेगा। कोई…
मैं नदी-नाल का केवट हूँ, तुम भवसागर के मालिक हो। मैं तो लहरों से लड़ता रहा तुम पार उतरने वाले हो। मेरी नैया डगमग डोले तेरी कृपा तो संबल हो।…
जब रसोई में दाना न हो छप्पन भोग बना दे। सोने को बिछौना न हो पलकें बिछा दे। सिर पर छत न हो आँचल ओढ़ा दे। रोने को कंधा न…
बड़ा करारा घाम लगत हौ। तपै जेठ के गरम महीना। तर-तर तर चुवै पसीना। एही में न्योता और हकारी। केहु के ब्याह परल ससुरारी। चार ठों न्योता गांव में बाटै।…
मेरे प्यारे, कुत्ता भाइयो! तुम सो रहे हो, अपना भविष्य खो रहे हो। हम तुम्हें जगाने आए हैं, तुम्हारी नींद भगाने आए हैं। नसीहतें मानते रहो, चैन से सोना है…