अभिषेक पांडेय

लखनऊ: बीते दिनों जोन छह स्थित अम्बरगंज में सीवर की सफाई के दौरान ज़हरीली गैस से दो सफाई कर्मचारियों की मौत हो गई थी। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए उत्तर प्रदेश एक उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक पीड़ित परिवार से मिलने भी पहुंचे थे। वहीं उन्होंने एलान किया कि अब सुरक्षा उपकरण नहीं तो सफाई भी नहीं। वहीं, इस पूरे मामले पर लखनऊ के नगर आयुक्त अजय द्विवेदी ने एक कमेटी का भी गठन किया था जिसकी अध्यक्षता अपर नगर आयुक्त अभय कुमार पाण्डेय कर रहे हैं।

कमेटी को तीन दिन में अपनी रिपोर्ट पेश करनी थी लेकिन अभी तक इस रिपोर्ट पर काम ही चल रहा है। डेली इनसाइडर ने जब इस रिपोर्ट के बारे में अपर नगर आयुक्त से जिक्र किया तो उन्होंने साफ़ कहा कि केवल रिपोर्ट पेश करना ही हमारा काम नहीं है। हमारे पास और भी काम हैं। उन्होंने कहा कि, जीएम गोमती छुट्टी पर हैं। जब वे छुट्टी से लौटेंगे तो इसपर काम होगा। रिपोर्ट को तैयार होने में एक गफ्ते का समय और लगेगा। बता दें कि इस कमेटी में जलकल के जीएम, महाप्रबंधक जल विभाग गोमती प्रदूषण नियंत्रण इकाई, मुख्य अभियंता नगर निगम, मुख्य अभियंता आरआर तथा नगर निगम के मुख्य वित्त अधिकारी को शामिल किया गया है।

‘हमारे पास केवल रिपोर्ट पेश करने का ही काम नहीं है, और भी काम हैं। अभी जीएम गोमती छुट्टी पर हैं, रिपोर्ट पेश करने में एक सप्ताह का समय लगेगा।’

अभय कुमार पाण्डेय, अपर नगर आयुक्त, लखनऊ नगर निगम

सैकड़ों कर्मचारियों की हो चुकी है मौत

बता दें कि बीते कुछ सालों में हाथ से नालों की सफाई करते हुए सैकड़ों लोगों ने जान गंवाई है। केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की संस्था राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग 2020 में डराने वाले आंकड़े बताए थे। आंकड़ों के अनुसार, 2019 में सीवर की सफाई के दौरान 110 लोगों ने जान गंवाई। वहीं, 2018 में 68 और 2017 में 193 मौतें हुईं।

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सुप्रीम कोर्ट ने भी लगाई है फटकार

मैनुअल स्‍कैवेंजिंग को लेकर सुप्रीम कोर्ट भी केंद्र सरकार को फटकार लगा चुका है लेकिन इसका असर देखने को नहीं मिला है। हर बार कर्मचारियों की मौत के पीछे एक ही कारण होता है और वो है पर्याप्‍त उपकरणों का नहीं होना। नियमों के विरुद्ध सीवर में सफाई करने के लिए कर्मचारियों को उतारा गया है।

मैनुअल स्‍कैवेंजिंग पूरी तरह से गैर कानूनी

मैनुअल स्‍कैवेंजिंग एक्‍ट 2013 के तहत सीवर में सफाई के लिए व्‍यक्ति को उतारना गैर-कानूनी है। अगर सफाई कर्मचारियों को सीवर में उतारना पड़ जाए तो जो सीवर की सफाई के लिए उतर रहा है उसे ऑक्सिजन सिलेंडर, स्‍पेशल सूट, मास्‍क देना जरूरी है। वहीं, जलकल जीएम शैलेन्द्र वर्मा कि मानें तो कार्यदायी संस्था सुएज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के सुपरवाइजर की लापरवाही के चलते ये हादसा हुआ है। उसके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कराई जा चुकी है। नगर आयुक्त ने जिस कमेटी का गठन किया है उसकी रिपोर्ट जल्द ही पेश होगी। हालांकि, कार्यदायी संस्था के पर उपकरण मौजूद थे और अगर उपकरणों का इस्तेमाल किया गया होता तो ये हादसा नहीं होता।

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