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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र

राजनीति की भी अपनी एक मर्यादा होती है, यहीं वजह है कि मंच से एक-दूसरे को गाली देने वाले नेताओं की जब आपस में मुलाकात होती है, तो वह बड़े विनम्र भाव में मिलते देखे जाते हैं। देश में आरएसएस ऐसा संगठन है, जो हिंदूवादी संगठनों को छोड़ दिया जाए तो हर दल व संगठन के निशाने पर रहता है। देश में संघ का जितना विरोध होता गया वह उतनी मजबूती के साथ आगे बढ़ता गया। यही कारण है कि लोग विरोध भी करते हैं और आरएसएस के सामने नतमस्तक होते भी हैं। सोशल मीडिया के आने के बाद सामाजिक शिष्टाचार के साथ राजनीतिक शिष्टाचार में भी काफी गिरावट आई है। लोग किसी बात को समझने की जगह उलूल-जुलूल प्रतिक्रियाएं देने लगते हैं। राजनीतिक शिष्टाचार की बात करें तो कांग्रेस में सबसे ज्यादा गिरावट देखी गई। कांग्रेस नेताओं ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक पर ‘खून की दलाली’, ‘नीच’ आदि जैसे शब्दों के प्रयोग करने में कोई संकोच नहीं किया। वहीं सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के साथ संघ प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat and Mulayam meet) की तस्वीर सामने आते ही कांग्रेस ने सपा पर कटाक्ष करने में कोई संकोच नहीं किया।

हालांकि सपा के विरोध के बाद कांग्रेस ने ट्वीट करते लिखा, ‘धन्यवाद @samajwadiparty! हम यही जानना चाह रहे थे।’ कांग्रेस पार्टी की इस राजनीतिक गिरावट ने अन्य दलों को भी कई संकेत दिया है। क्योंकि अगर इसी तरह से सवाल जवाब का सिलसिला आगे बढ़ा तो कोई राजनीतिक दल का नेता दूसरे के नताओं से शिष्टाचार मुलाकात भी बंद कर देगा। मुलायम सिंह यादव और मोहन भागवत की यह मुलाकात (Mohan Bhagwat and Mulayam meet) न तो राजनीतिक थी और न ही शिष्टाचार। मौका था उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू की पोती के रिसेप्शन का। ऐसे मौके पर दोनों नेता एक साथ क्या नजर आ गए, कांग्रेस आग बबूला हो गई। हालांकि इस तस्वीर पर भाजपा की तरफ से पहले राजनीति शुरू की गई। बीजेपी ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से फोटो शेयर करते हुए लिखा, ‘तस्वीर बहुत कुछ बोलती है।’

इसके बाद समाजवादी पार्टी की तरफ से तस्वीर को शेयर करते हुए ट्वीट किया कि तस्वीर कुछ बोलती है और ये राज खोलती है कि कोई बताने आये थे… अनुपयोगी जाने वाले हैं और साइकिल वाले आने वाले हैं। #बाइसमेंबाइसिकल @BJP4UP। वहीं कांग्रेस ने राजनीतिक मर्यादा लांघते हुए मोहन भागवत और मुलायम सिंह के साथ वाली तस्वीर शेयर करते हुए लिखा कि ‘नई सपा’ में ‘स’ का मतलब ‘संघवाद’। इसके बाद समाजवादी पार्टी ने एनसीपी नेता शरद पवार के साथ मुलायम सिंह (Mulayam Singh Yadav) की तस्वीर को साझा करते हुए ट्वीट करते हुए लिखा, ‘राजनीतिक शिष्टाचार भूल चुकी है कांग्रेस! जिस कार्यक्रम की तस्वीर लगा रही कांग्रेस उसी कार्यक्रम में कांग्रेस की सहयोगी एनसीपी के नेताओं ने भी लिया नेताजी का आशीर्वाद। इस पर क्या कहेगी कांग्रेस? @INCUttarPradesh। इसके बाद कांग्रेस ने बेशर्मी वाला ट्वीट किया, ‘धन्यवाद @samajwadiparty! हम यही जानना चाह रहे थे। समाजवादी पार्टी ने स्वीकार किया है कि आदरणीय मुलायम सिंह यादव जी ने RSS प्रमुख मोहन भागवत को आशीर्वाद दिया है। प्रदेश की जनता को स्पष्ट करने के लिए पुनः शुक्रिया।

वर्तमान समय में यूपी विधानसभा चुनाव की तैयारी चल रही है। ऐसे में राजनीति दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है। राजनीतिक दलों के नेता एक दूसरे पर कटाक्ष करते हुए देखे जा रहे हैं। बीते दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गोरखपुर में जनसभा को संबोधित करते हुए प्रदेश की जनता को लाल टोपी से सावधान किया था। उन्होंने समाजवादी पार्टी का नाम लिए बगैर लाल टोपी के बहाने जमकर हमला बोला। बीजेपी विरोधी राजनीति करने वाले मुलायम सिंह यादव का संघ से रिश्ते हमेशा कड़वे नहीं रहे हैं। कई ऐसे मौके आए है जब राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ऑन रिकॉर्ड मुलायम सिंह की तारीफ कर चुका है। संघ ने उस समय मुलायम सिंह की तारीफ की थी, जब वर्ष 2003 में मायावती की पार्टी फोड़ मुलायम सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे। उस समय हिंदी और स्वदेशी को बढ़ावा देने के लिए संघ ने मुलायम सिंह यादव की जमकर तारीफ की थी।

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यह तो पुरानी बात है। 13 फरवरी, 2019 को लोकसभा के अंदर मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जमकर तारीफ कर हर किसी को चौंका दिया था। भरे सदन में मुलायम सिंह (Mulayam Singh Yadav) ने तारीफ करते हुए कहा था कि वह चाहते हैं कि नरेंद्र मोदी फिर से देश के प्रधानमंत्री बने। जबकि उनके बंगल की सीट पर सोनिया गांधी बैठी हुई थीं। इस पर पीएम मोदी ने हाथ जोड़कर मुलायम सिंह का अभिवादन भी किया था। इससे पहले वर्ष 2015 में सहारनपुर में एक रैली के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुलायम सिंह की जमकर तारीफ की थी। उस समय मुलायम सिंह (Mulayam Singh Yadav) ने सदन न चलने देने के विपक्ष के अड़ियल रवैये का विरोध किया था। पीएम मोदी ने रैली में इसी बात को लेकर मुलायम सिंह की तारीफ करते हुए कहा था कि मुलायम सिंह विपक्ष में हैं। वो हमारी आलोचना भी करते रहते हैं। लेकिन लोकतंत्र को बचाने के लिए उन्होंने हर संभव प्रयास किया।

राजनीति में आलोचना-समालोचना होती रहती है। लेकिन प्रमुख नेताओं के साथ बैठने व मुलाकात करने की आलोचना और कटाक्ष करने की जो नई परंपरा शुरू हुई है। इसका खामियाजा हर दल के नेताओं को चुकानी पड़ेगी। हार-जीत राजनीति में लगी रहती है। लेकिन हार से हताशा होकर इस तरह आपा खो देना किसी के लिए ठीक नहीं है। कांग्रेस ही नहीं पूरा विपक्ष हार से इस कदर हताश है कि उसे सुरक्षा एजेंसियों, संवैधानिक जांच एजेंसियों और कुछ मीडिया समूहों में बीजेपी सरकार के अक्स नजर आ रहे हैं। यही वजह की सुरक्षा एजेंसियों की कार्रवाई के सबूत मांगे जाने लगे हैं। जांच एजेंसियों की कार्रवाई को सरकार से प्रेरित बताया जाने लगा है। मीडिया के सवाल करने पर गोदी मीडिया कह दिया जाता है। इससे समझा जा सकता है कि विपक्ष का स्तर कितना गिर चुका है। कल को यही सवाल उनकी सरकारों में भी उठेंगे शायद उनको इस बात का अंदाजा नहीं है। पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके अखिलेश यादव ने तो यहां तक कह डाला कि उनकी सरकार बनी तो हिसाब लिया जाएगा। फिलहाल राजनीति के गिरते स्तर का खामियाजा हर किसी को भुगतना पड़ेगा।

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