सुमित मेहता

Lok Sabha Elections 2024: राम सबके हैं, जन-जन के हैं। राम पर किसी का एकाधिकार नहीं हो सकता। लेकिन जब बात राजनीतिक दलों की होगी, तो इसका श्रेय बीजेपी को ही जाएगा। राम मंदिर के लिए हिंदूवादी संगठनों के साथ भारतीय जनता पार्टी ने वर्षों तक संघर्ष किया और सत्ता में आते ही अयोध्या में राम मंदिर का सपना भी साकार हो गया। अब जब लोकसभा चुनाव 2024 करीब है और राम मंदिर निर्माण का पहला चरण पूरा होने वाला है, तो राजनीतिक दलों में प्रभु राम को लेकर बेचैनी भी बढ़ने लगी है। बीजेपी तो राम के शरण में हमेशा से रही है, लेकिन जो सवाल पूछते थे राम मंदिर कब बनेगा उन्हें भी भगवान राम की याद आने लगी है।

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव को लोकसभा चुनाव से पहले प्रभु श्री राम की याद आ गई है। लखनऊ पार्टी कार्यालय में 24 दिसंबर को ब्राह्मण महापंचायत का आयोजन किया गया, जहां सपा अध्यक्ष ने पार्टी नेताओं को चेतवानी देते हुए कहा कि, कोई भी जाति और धर्म को लेकर टिप्पणी नहीं करेगा। दरअसल, सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य पिछले लंबे समय से हिंदू धर्म और ग्रंथों को लेकर विवादित टिप्पणी कर रहे हैं, जिसका विरोध बीजेपी के आलावा सपा के नेताओं ने भी किया।

स्वामी प्रसाद के विवादित बयानों की वजह से हिंदुओं में आक्रोश बढ़ता जा रहा था, जिसके बाद अखिलेश यादव से मांग की जाने लगी कि, स्वामी प्रसाद पर एक्शन लिया जाये, लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं। अखिलेश से जब भी पत्रकारों ने सपा नेता के विवादित बयानों पर सवाल किया, तो उन्होंने बातों को घुमा दिया। लेकिन अब जब 2024 के लोकसभा चुनाव नजदीक आ गए हैं, तो सपा अध्यक्ष ने स्वामी प्रसाद को चेतावनी देते हुए कहा है कि, जाति और धर्म को लेकर किसी भी तरह की टिप्पणी न की जाये।

अखिलेश यादव पिछले काफी दिनों से यूपी में NDA की काट पीडीए को बता रहे थे। PDA यानी पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक। वहीं स्वामी प्रसाद मौर्य लगातार हिंदू विरोधी बयान दे रहे थे, लेकिन पार्टी के वरिष्ठ नेता उनके बयानों से किनारा करते रहे। अब जब चुनाव सिर पर आ गए हैं, तो समाजवादी पार्टी को ब्राह्मणों की याद आ गई है। यही वजह है कि, लखनऊ पार्टी कार्यालय में बीते रविवार को ब्राह्मण महापंचायत का आयोजन किया गया।

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जहां अखिलेश यादव ने ब्राह्मण समाज से बीजेपी को हटाने के लिए समर्थन मांगा। वहीं ब्राह्मण समाज के नेताओं ने भी सपा अध्यक्ष को बिना नाम लिए याद दिलाया कि, उनकी पार्टी का एक नेता लगातार राम और रामचरितमानस को लेकर विवादित बयानबाजी पिछले लंबे समय से कर रहा है। लोगों की बातें सुनने के बाद सपा अध्यक्ष ने पार्टी नेताओं को सख्त हिदायत देते हुए कहा कि, जाति और धर्म को लेकर कोई टिप्पणी न करें। अखिलेश की चेतावनी का असर अब स्वामी प्रसाद मौर्य पर कितना पड़ता है, वो तो समय बताएगा, लेकिन सपा अध्यक्ष की सख्त हिदायत के बाद पार्टी के वो नेता खुश हैं, जो स्वामी प्रसाद के बयानों का विरोध शुरू से कर रहे थे।

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