गति को प्रगति
प्रगति को मति दे।
मति को दृष्टि
सुज़न संगति दे।।

पौरुष को धैर्य
धैर्य को विवेक दे।
विवेक को नीति
नीति को सम्मति दे।।

साहस शील
विनय पौरुष दे।
मानवता के हित
सुकर्म नियति दे।।

हे जगत नियन्ता
संकल्प शक्ति दे।
संकल्प सिद्ध हो
दृढ़ राष्ट्र भक्ति दे।।

– बृजेंद्र

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