Kahani: एक नौजवान चीता पहली बार शिकार करने निकला। अभी वो कुछ ही आगे बढ़ा था कि एक लकड़बग्घा उसे रोकते हुए बोला, अरे छोटू, कहाँ जा रहे हो तुम? “मैं तो आज पहली बार खुद से शिकार करने निकला हूँ!” चीता रोमांचित होते हुए बोला। हा-हा-हा, लकड़बग्घा हंसा, अभी तो तुम्हारे खेलने-कूदने के दिन हैं, तुम इतने छोटे हो, तुम्हें शिकार करने का कोई अनुभव भी नहीं है, तुम क्या शिकार करोगे। लकड़बग्घे की बात सुनकर चीता उदास हो गया।
दिन भर शिकार के लिए वो बेमन इधर-उधर घूमता रहा, कुछ एक प्रयास भी किये पर सफलता नहीं मिली और उसे भूखे पेट ही घर लौटना पड़ा। अगली सुबह वो एक बार फिर शिकार के लिए निकला। कुछ दूर जाने पर उसे एक बूढ़े बन्दर ने देखा और पूछा, कहाँ जा रहे हो बेटा? बंदर मामा, मैं शिकार पर जा रहा हूँ। चीता बोला। “बहुत अच्छे” बन्दर बोला, तुम्हारी ताकत और गति के कारण तुम एक बेहद कुशल शिकारी बन सकते हो। जाओ तुम्हें जल्द ही सफलता मिलेगी। यह सुन चीता उत्साह से भर गया और कुछ ही समय में उसने एक छोटे-से हिरन का शिकार कर लिया।
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शिक्षा: मित्रों,हमारी ज़िन्दगी में “शब्द” बहुत मायने रखते हैं। दोनों ही दिन चीता तो वही था, उसमें वही फूर्ति और वही ताकत थी पर जिस दिन उसे हतोत्साहित किया गया वो असफल हो गया और जिस दिन प्रोत्साहित किया गया वो सफल हो गया।
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