Kahani: सर्दी के मौसम में एक बूढ़ी औरत अपने घर के कोने में ठंड से तड़प रही थी। जवानी में उसके पति का देहांत हो गया था। घर में एक छोटा बेटा था। बेटे के उज्ज्वल भविष्य के लिये उस माँ ने घर-घर जाकर काम किया। वह काम करते-करते बहुत थक जाती थी, लेकिन फिर भी आराम नहीं करती थी। हमेशा एक बात याद करके फिर काम में लग जाती थी कि जिस दिन बेटा लायक हो जाएगा, तभी आराम करेगी।
देखते-देखते समय बीत गया। माँ बूढ़ी हो गयी और बेटे को एक अच्छी नौकरी मिल गयी। कुछ समय बाद बेटे की शादी कर दी और एक बच्चा हो गया। अब बूढ़ी माँ बहुत खुश थी उसके जीवन का सबसे बड़ा सपना पूरा हो गया। उसका बेटा लायक हो गया अब उसका बेटा उसकी हर ख्वाहिश पूरी करेगा। लेकिन ये क्या, बेटे और बहू के पास माँ से बात करने तक का वक्त नहीं होता था।
माँ के जीवन में बस इतना फर्क पड़ा था कि पहले वो बाहर के लोगों के जूठे बर्तन धोती थी, अब अपने बेटे और बहू के। पहले वो बाहर के लोगों के कपड़े धोती थी, अब अपनी बहू और बेटे के फिर भी खुश थी। क्योंकि औलाद तो उसकी थी। सर्दी का मौसम आ गया था, एक टूटी चार पाई पर घर के बिल्कुल बाहर वाले कमरे में एक फ़टे कम्बल में सिमटकर माँ लेटी थी और सोच रही थी कि आज बेटा आएगा, तो उससे कहूंगी कि तेरी माँ को बहुत ठंड लगती है एक नया कम्बल लाकर दे दे।
शाम को बेटा घर आया, तो माँ ने बोला- बेटा, ठंड बहुत है, मुझे बहुत ठंड लगती है और बात ठंड की नहीं है, मैं बूढ़ी हो गयी हूं, इसलिए शरीर में जान नहीं है। इस फ़टे कम्बल में ठंड रुकती नहीं है, बेटा कल एक कम्बल लाकर दे दे। बेटा गुस्से से बोला कि इस महीने घर के राशन में और बच्चे के एडमीशन में बहुत खर्चा हो गया है। बेटे को स्कूल में एडमिशन कराना है कुछ पैसे हैं, लेकिन उससे बच्चे का स्वेटर लाना है।
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तुम्हारी बहू के लिए एक शॉल लाना है, तुम तो घर में ही रहती हो सहन कर सकती हो। हमें बाहर काम करने के लिए जाना होता है, सिर्फ दो महीने की सर्दी निकाल लो अगली सर्दी में देखेंगे। बेटे की बात सुनकर माँ चुपचाप उस कम्बल में सिमटकर सो गई। अगली सुबह देखा तो माँ अब इस दुनिया में नही थी। बेटे ने सबको खबर दी कि माँ अब इस दुनिया में नही है। सभी रिश्तेदार, दोस्त पड़ोसी इकठ्ठे हो गए। बेटे ने मां की अंतिम यात्रा में कोई कमी नहीं छोड़ी थी।
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