Acharya Vishnu Hari Saraswati
आचार्य विष्णु हरि

अब दुनिया के सामने हूती आतंकवाद की खतरनाक चुनौतियां खड़ी हो गयी है, इस खतरनाक चुनौतियों से लड़ने के लिए अभी तक कोई वैश्विक नीति नहीं बनी है। जबकि वैश्विक नीति बनाने की जरूरत है। खासकर संयुक्त राष्ट्रसंघ की इस संबध में भूमिका सर्वश्रेष्ठ होनी चाहिए। लेकिन संयुक्त राष्ट्रसंघ में अभी तक कोई चर्चा तक नहीं हुई है। सबसे बड़ी बात यह है कि कुछ इस्लामिक देश हूती आतंकवाद को न केवल हवा पानी दे रहे हैं, बल्कि हथियार और पैसे भी दे रहे हैं। पहले समुद्री डाकू होते थे, जो जहाजों को लूटा करते थे। पर अब समुद्री डाकुओं की जगह हूती आतंकवादियों ने ले रखा है।

हूती आतंकवादी समुद्री जहाजों को निशाना तो बना ही रहे हैं, इसके साथ ही साथ समुद्री जहाजों पर मिसाइलें भी दाग रहे हैं। समुद्री जहाजों का अपहरण कर फिरौती भी वसूल रहे हैं। इसके कारण भारत जैसे कई देशों के लिए गंभीर चुनौतियां खड़ी हो गयी हैं। भारत का समुद्री व्यापार अरब सागर और लाल सागर के माध्यम से होता है। अरब और लाल सागर में ही हूती आतंकवादियों की खतरनाक सक्रियता है। अब अमेरिका और यूरोप भी कम चिंतित नहीं है। लेकिन दुनिया की नजर भारत की ओर है। अमेरिका और यूरोप की दृष्टि है कि अरब सागर और लाल सागर में समुद्री जहाजों की सुरक्षा का भार भारत उठायें और हूती आतंकवादियों का भी भारत सफाया करे।

हूती आतंकवादी भारत के प्रति इस्लामिक कारणों से खिलाफ हैं, भारत में भी इस्लामिक राज स्थापित करने का जिहाद भी जगजाहिर है। अलकायदा और इस्लामिक स्टेट जैसे आतंकवादी संगठनों की भारत के प्रति घृणा और जिहाद को भी देखा जाना चाहिए। लेकिन अब इस घृणा, हिंसा और जिहाद में हूती जैसे आतंकवादी संगठन भी शामिल हो गये हैं।

वर्तमान में समुद्री क्षेत्र में भारतीय जहाज पर हुए हमले को लेकर दुनिया भर में खूब चर्चा हुई है और इस हमले को लेकर एक वैश्विक जनादेश भी उभरा है। खासकर अमेरिका और यूरोप की नजरें गंभीर हुई हैं। हमला भारतीय जहाज पर होता है, लेकिन आगबबूला अमेरिका और यूरोप होता है? यह बात समझनी थोड़ी कठिन लगती है। लेकिन सच है। इसके कारणों की खोज करनी होगी। कारण आसान है और लक्षित है।

समुद्र में अगर भारतीय जहाज सुरक्षित नहीं हैं, तो फिर अमेरिकी और यूरोपीय जहाज कैसे सुरक्षित होंगे? उन पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं। अगर समुद्री क्षेत्र में जहाजों की आवाजाही प्रभावित हुई, तो इसका असर भारत जैसे विकासशील देशों के उपर तो पड़ेगा ही, इसके अलावा अमेरिकी और यूरोपीय देशों के उपर भी पड़ेगा। इसके साथ ही साथ अरब के इस्लामिक देशों के उपर भी पड़ेगा। अरब के इस्लामिक देशों से तेल पदार्थ की खरीद करने से परहेज करेंगे, क्योंकि अरब सागर और लाल सागर के रास्ते तेल की ढुलाई पर हूती जैसे आतंकवादियों की हिंसा और वसूली का राज चलता है।

अमेरिका ने हूती को लेकर ईरान के सिर पर ठिकरा फोड़ा है। अमेरिका ने कहा है कि लाल सागर और अरब सागर में हूती की जो हिंसा हो रही है, उसके पीछे ईरान का हाथ है। भारतीय जहाज पर जो हमले हुए हैं वे हमले सीधे तौर पर ईरान की जमीन से हुए है। ईरान की जमीन और हवाई क्षेत्र का हूती आतंकवादियों ने प्रयोग किया है। जानना यह भी जरूरी है कि भारतीय जहाज पर जो हमला हुआ था, वह मिसाइल हमला ही था। मिसाइल हमला दूर से हुआ था। मिसाइल हमले में किसी की मृत्यु तो नहीं हुई थी पर जहाज के क्षतिग्रस्त होने की सूचना थी और जहाज का अपहरण करने के फिराक में हूती आतंकवादी थे। भारत ने तत्काल कार्रवार्इ की थी। भारत ने अपना समुद्री युद्धक जहाज और एक बड़ी यु़द्धक सैनिक टूकड़ी भेजी थी। भारतीय युद्धक जहाज ने संकट में पड़े जहाज की सुरक्षा की थी और हूती आतंकवादियों की हिंसक मानसिकता को विफल कर दिया था।

ईरान ने अमेरिकी आरोपों का खंडन किया था और कहा था कि अमेरिका मनगढ़ंत आरोप लगा रहा है और ईरान की छवि खराब कर रहा है। यहां विचार के विन्दु यह भी है कि क्या ईरान भी पाकिस्तान की तरह आतंकवादी देश है? ईरान क्या सही में हूती का संरक्षक है? ईरान क्या सही में भारतीय जहाज पर हमले की साजिश में शामिल था? क्या अमेरिका का आरोप सही है? क्या अमेरिका अपनी दुश्मनी निकालने के लिए इस तरह का आरोप लगा रहा है? यह सही है कि ईरान और अमेरिका के बीच दुश्मनी है। अमेरिका परमाणु विस्तार के प्रश्न पर ईरान से असहमति रखता है, दुश्मनी रखता है, अमेरिका परमाणु समझौते भी तोड़ चुका है और ईरान पर कोई एक नहीं बल्कि कई तरह के प्रतिबंध लगा रखे हैं, इन प्रतिबंधों से ईरान की अर्थव्यवस्था खराब हुई है। इसी कारण अमेरिका और ईरान के बीच दुश्मनी चलती रहती है। लेकिन हूती को लेकर अमेरिका का आरोप सतही नहीं है, बल्कि तथ्य परख भी है। हूती का जन्मदाता ईरान ही है। हूती का संरक्षक ईरान ही है। ईरान के हथियार और पैसे के बल पर हूती की आतंकवादी गतिविधियां चलती है।

हूती आतंकी संगठन की असली पहचान क्या है? समुद्र क्षेत्र में वह भारत-इजरायल और अमेरिका-यूरोप के समुद्री जहाजों का अपहरण क्यों करना चाहता है? हूती यमन का मुस्लिम आतंकवादी संगठन है। यह शिया मुसलमानों का आतंकवादी संगठन है। यमन में सुन्नी मुसलमानों की सत्ता और वर्चस्व को तोड़ने के लिए इस आतंकवादी संगठन का उदय हुआ था। इसके निर्माता हुसैन अल हूती था। हुसैन अल हुती ने अपने नाम पर इस आतंकवादी संगठन को खड़ा किया था। यमन में हूती आतंकवादियों ने गृहयुद्ध छेड़ रखा है। हूती आतंकवादियों को लेकर ईरान और सउदी अरब के बीच हिंसक और शाब्दिक युद्ध भी चलता रहता है। सऊदी अरब यमन के अंदर में हूती आतंकवादियों के खिलाफ सैनिक कार्रवाई भी किया है। सऊदी अरब के हस्तक्षेप के कारण हूती आतंकवादी अपने मकसद में कामयाब नहीं हो सके हैं। लेकिन यमन पूरी तरह से बर्बाद हो गया है। हूती के कारण यमन में शांति की उम्मीद नहीं है।

हूती की इजरायल विरोधी मानसिकता भी घृणित है। हूती ने घोषणा कर रखी है कि अरब सागर और लाल सागर के रास्ते से इजरायल जाने वाले सभी समुद्री जहाजों पर हमले किये जायेगें। उन जहाजों को नष्ट किया जा सकता है, उन जहाजों का अपहरण किया जायेगा। वास्तव में हूती की यह मजहबी ग्रंथी जिसका वह शिकार है। हमास के हमले के बाद इजरायल ने हमास के खिलाफ हमला शुरू कर दिया, पूरी गाजा पट्टी खंडहर बन गयी। इजरायल के खिलाफ हिजबुल्लाह और हमास तो लड़ ही रहे हैं, इसके साथ ही साथ हूती भी आतंकवाद में हमास के साथ खड़ा हो गया। चूंकि इजरायल का हथियार और अन्य संसाधन अरब और लाल सागर होकर आतें हैं। इसलिए हूती ने अरब सागर और लाल सागर में इजरायल के खिलाफ अभियान छेड़ दिया है। कई इजरायल जहाजों पर हूती ने हमले किये हैं, इसलिए इजरायल ने अपने जहाजों को मार्ग बदल दिया है। मार्ग बदलना बहुत खर्चीला है और इसका असर सीधे अर्थव्यवस्था पर पड़ता है। इजरायल के खिलाफ हूती की यह आतंकवादी कार्रवाई समझ में तो आती है पर भारत को निशाना बनाना समझ से परे हैं। भारत ने तटस्था की नीति अपनायी है। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत ने हमेशा फिलिस्तीन का पक्ष लिया और शांति का पक्षधर है।

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ईरान को हूती आतंकवादी संगठनों की ऐसी करतूत पर संज्ञान लेना ही होगा। भारत और ईरान मित्र हैं। मित्र देश के खिलाफ ऐसी कार्रवाइयां अस्वीकार्य है। फिर भारत असुरक्षित महसूस कर ईरान से तेल की खरीद बंद कर सकता है। ऐसी स्थिति में ईरान को भी हानि उठानी पड़ सकती है और ईरान की अर्थव्यवस्था प्रभावित हो सकती है। इसलिए हूती को भारत विरोधी कार्रवाइयां बंद ही करानी होगी।

संयुक्त राष्ट्रसंघ को समुद्री जहाजों की सुरक्षा, समुद्री डाकुओं और मुस्लिम आतंकवादी संगठनों के खिलाफ एक कठोर नीति अपनानी होगी। हूती जैसे मुस्लिम आतंकवादियों को काली सूची में डालने की आवश्यकता है। इसके अलावा हूती जैसे मुस्लिम आतंकवादी संगठनों के संरक्षणकर्ता देशों पर भी प्रतिबंध लगाने की जरूरत है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो फिर दुनिया की अर्थव्यवस्था डगमगायेगी। इसके साथ ही साथ गरीब जनता महंगाई की भार से दब सकती है।

आचार्य विष्णु हरि

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।)

(यह लेखक के निजी विचार हैं।)

मो. 9315206123

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