Kahani: एक बार की बात है, एक टिड्डा बड़े सुंदर खेत में रहता था। वह अपने दिन खेलते और गाते बिताता था। कभी भी किसी चीज की चिंता नहीं करता था। वह हमेशा खेलता-कूदता खुश रहता था। बड़ा ही मनमौजी टिड्डा था। एक दिन, जब टिड्डा गाता और नाचता इधर से उधर घूम रहा था, उसने एक चींटी को एक गेहूं का दाना लेकर जाते देखा। टिड्डे ने मुस्कुराते हुए बोला- अच्छे से भर पेट खाना खाओ मेरी दोस्त।
यह क्या, थोड़ी देर बाद फिर से चींटी दौड़ी भागी गेहूं का दाना लेकर जा रही थी। चींटी को व्यस्त और जल्दीबाजी में गेहूं का दाना ले जाते देख कर टिड्डे ने पूछा, दोस्त चींटी, तुम इतनी मेहनत क्यों कर रही हैं? मेरे साथ आ जाओ खेलते हैं। तब चींटी ने जवाब दिया, मैं सर्दियों के लिए भोजन इकट्ठा कर रही हूँ। मैं जानती हूं कि मुझे अभी कड़ी मेहनत करनी पड़ रही है। परन्तु सर्दियों में मुझे और मेरे परिवार को खाने के लिए भटकना नहीं पड़ेगा। सर्दिओं में खाना ढूँढना बहुत मुश्किल है। तुम भी ऐसा ही करने की सोचो।
पर टिड्डा हंसता हुआ बोला- तुम कितना ज्यादा सोचती हो। मुझे भविष्य के बारे में क्यों चिंता होनी चाहिए? मैं वर्तमान में खुश हूँ, और मेरे लिए यही महत्वपूर्ण है। चींटी असहमति जताते हुए सिर हिलाकर बोली- मुझे तुम्हारे भाव समझ में आते हैं, लेकिन भविष्य के बारे में सोचना अहम होता है। और, अपने परिवार की जवाबदेही भी समझनी चाहिए। हम जिस समाज में रहते हैं, उसकी भी जवाबदेही लेनी चाहिए। अपने परिवार का भी ध्यान रखना चाहिए और समाज में भी जिनके पास नहीं है, उनका भी ध्यान रखना चाहिए। और जो यह नहीं समझते, उन्हें कभी न कभी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
टिड्डे ने चींटी की सलाह को अनसुना कर दिया। उसने अपना हर दिन गाते– खेलते बिताता रहा। उसे अपने भविष्य की कोई चिंता नहीं थी। जहाँ हर जानवर अपने और अपने परिवार के लिए सर्दियों की तैयारी में जुटे थे। वहीं टिड्डा बेफ़िक्र समय काटता रहा। धीरे-धीरे दिन ठंडे होते गए और भोजन की उपलब्धता की कमी होने लगी। टिड्डा अब भी केवल आज के खाने के बारे में सोचता था। जैसे ही आज के खाने की समस्या समाप्त होती, वैसे ही वह फिर से मनमौजी हो जाता।
परन्तु जैसे ही सर्दियों का प्रकोप बढ़ा, टिड्डे को भूख और चिंता सताने लगी। उसने चींटी के वचनों को याद करते हुए महसूस किया कि वह चींटी की सलाह का पालन करता तो आज उसे भूखा नहीं रहना पड़ता। उसे भविष्य की हर परस्थिति के लिए तैयार रहना चाहिए था। लेकिन बहुत देर हो चुकी थी। टिड्डे के पास खाने को कुछ भी नहीं था और न ही कोई जगह जहां जाकर वह भोजन पा सकता था। वह दुखी और अकेला महसूस करता था। एक दिन टिड्डा, चींटी के घर के पास से गुजर रहा था, तो उसने देखा कि चींटी के मोहल्ले में बच्चे खेल रहे हैं।
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बूढ़ी चीटियां धूप सेक रही हैं। तभी उसने देखा की, उसकी दोस्त चींटी अपने घर में भोजन कर रही है। चींटी के पास भोजन की पूरी आपूर्ति थी और वो ठंडे मौसम के लिए तैयार थी। टिड्डे ने चींटी के पास जाकर कहा- मुझे खेद है कि मैंने तुम्हारा कहा नहीं माना। और आज मैं भुक्तभोगी हूँ, यदि मैं तुम्हरी सलाह मान लेता तो आज खाने के लिए यहाँ वहाँ नहीं भटकता। मुझे माफ़ कर दो। क्या तुम मेरी मदद करोगी? क्या तुम मुझे भी खाना दोगी? टिड्डे की बात सुनकर चींटी को उस पर दया आ गई। चींटी ने जवाब दिया, मैं अवश्य तुम्हारी मदद करूंगी। लेकिन, तुम्हें अपनी गलतियों से सीखना चाहिए। हमेशा भविष्य के बारे में सोचो और मुश्किल समय के लिए तैयार रहो। मेहनत करना और जिम्मेदारी संभालना बहुत महत्वपूर्ण है। टिड्डे ने सहमति जताते हुए, अपना सिर हिला कर कहा कि मैंने अपनी सीख ले ली है।
फिर चींटी ने उसे खाना दिया। दोनों दोस्तों ने बैठ कर खाना खाया। उसने चींटी को अपनी मदद और दोस्ती के लिए धन्यवाद दिया। उस दिन से टिड्डा मेहनत करने लगा और भविष्य के लिए तैयार रहने लगा। उसने सीखा कि सफल जीवन के लिए जिम्मेदारी लेना और मुश्किल समय के लिए तैयार रहना महत्वपूर्ण है। मित्रों खुशहाल और सफल जीवन के लिए कड़ी मेहनत और ज़िम्मेदारी महत्वपूर्ण होते हैं। वर्तमान के साथ साथ भविष्य के लिए योजना बनाना और तैयार रहना आवश्यक होता है।
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