Gonda News: गोंडा पुलिस उपमहानिरीक्षक, देवीपाटन परिक्षेत्र गोण्डा (Deputy Inspector General of Gonda Police) के द्वारा कार्यालय में फर्जी बैनामा (fake deed) एवं फर्जी वसीयत से सम्बन्धित पीड़ितों की बढ़ती संख्या को देखते हुए जनपद स्तर पर एन्टी फाड सेल गठित (Anti tearing cell) करने हेतु पुलिस अधीक्षक, गोण्डा को निर्देशित किया गया है। जिसमें निरीक्षकों एवं उपनिरीक्षकों को उपलब्धता के आधार पर नियुक्त किया जा सकेगा। जो ऐसे प्रकरणों की प्राथमिक जाँच ध्यानपूर्वक करते हुए तय करेंगे कि प्रकरण में कोई कूट रचना हुई है कि नहीं।

यह जाँच समयबद्ध तरीके से निस्तारित की जायेगी एवं उस पर प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करने का निर्णय पुलिस अधीक्षक या उससे वरिष्ठ अधिकारी के द्वारा लिया जायेगा। एन्टी फ्रॉड सेल (Anti tearing cell) में कूट रचित बैनामा एवं फर्जी वसीयतनामा से सम्बन्धित प्रकरणों को देखा जायेगा। जबकि जमीन पर कब्जेदारी, पट्टे की जमीन पर कब्जेदारी, पैसे के लेन-देन के विवाद, व्यवसायिक विवाद आदि प्रकरण थाना स्तर पर पूर्व की भाँति निस्तारित किये जाएंगे।

निबंधन कार्यालय तहसील सदर-गोण्डा में अब तक 47 प्रकरण बैनामा बदलने (fake deed) एवं छेड़छाड़ के पाये गये हैं, जिनमें से 33 मामलों में मुकदमे दर्ज किये गये हैं तथा इन 33 मुकदमों में शासन द्वारा सर्वप्रथम 21 अक्टूबर को 10 मुकदमे को एसआईटी लखनऊ को स्थानान्तरित किये गये थे। पुनः शासन द्वारा 25 नवंबर को 15 मुकदमे एसआईटी लखनऊ (SIT Lucknow) को स्थानान्तरित किये गये है। इस प्रकार कुल 33 मुकदमों में से 25 मुकदमे एसआईटी लखनऊ (SIT Lucknow) को स्थानान्तरित किये जा चुके हैं। शेष मुकदमों को एसआईटी स्थानान्तरित कराये जाने हेतु शीघ्र प्रस्ताव तैयार कर प्रेषित किया जायेगा। शेष 14 प्रकरणों में पीड़ित पक्ष को तलाश कर प्राथमिक सूचना रिपोर्ट पंजीकृत कराये जाने हेतु निर्देशित किया गया है।

पुलिस उपमहानिरीक्षक, देवीपाटन परिक्षेत्र गोण्डा (Deputy Inspector General of Gonda Police) को उपलब्ध करायी गयी एक ऑडियो क्लिप पर उनके द्वारा विस्तृत जॉच के आदेश दिये गये हैं। जिसमें 2 व्यक्तियों के बीच हो रही बातचीत से प्रथम दृष्टया स्पष्ट हो रहा है कि फर्जी बैनामें एवं जमीन हड़पने में लगे कतिपय अभियुक्तों द्वारा पुलिस कर्मियों को फर्जी रूप से फंसाने आदि के लिए प्रयास किया जा सकता है। महिला अपराध से संबंधित झूठा आवेदन न्यायालय में प्रस्तुत कर प्राथमिक सूचना रिपोर्ट दर्ज करवाने का प्रयास किया जा सकता है। इस ऑडियो क्लिप में कई पीड़ितों के नाम लिये गये हैं, जहाँ पूर्व में भी इनसे फर्जी मामले में फसाने की धमकी देकर वसूली की गयी है। इसे गम्भीरता से लेते हुए जाँच के आदेश दिये गये हैं।

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जांच में सत्यता पाये जाने पर प्राथमिक सूचना रिपोर्ट दर्ज करायी जायेगी। साथ ही जो पुलिस कर्मी (एसआईटी) फर्जी बैनामा की जाँच / विवेचना में लगे हैं, उन्हें और सर्तक रहने हेतु निर्देशित किया गया है। पीड़ित पक्ष एवं अन्य विभाग के कर्मचारीगणों को भी सतर्क रहने के साथ सुरक्षा प्रदान करने की हिदायत दी गयी है। पूर्व में भी उपनिबन्धक व उनके कार्यालय के स्टाफ के विरूद्ध धारा 156 (3) दं.प्र.सं. के अन्तर्गत झूठा आवेदन दिया गया था। जिसे खारिज किया जा चुका है। ऐसा कोई आवेदन प्राप्त होने पर तत्काल उच्चाधिकारियों को संज्ञानित करने के भी निर्देश दिये गये है।

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