नई दिल्ली: भारतीय कानून कभी-कभी ऐसे मोड़ पर आ जाता है, जिसमें तर्क और कुतर्क में भेद करना मुश्किल हो जाता है। दिल्ली की आम अदमी पार्टी की सरकार ने हाई कोर्ट में कुछ ऐसा ही तर्क दिया है, जिससे कानून खुद कठघरे में आ गया है। आप सरकार ने हाई कोर्ट में राजधानी में शराब पीने की उम्र घटाने के अपने फैसले का बचाव करते हुए कुछ इसी तरह का तर्क प्रस्तुत किया है। इतना ही नहीं दिल्ली हाई कोर्ट में इस संदर्भ में दाखिल जनहित याचिका का आप सरकार ने विरोध किया है। हालांकि हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

आप सरकार की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ से कहा है कि देश में जब मतदान करने की उम्र 18 साल निर्धारित है, तो ऐसे में यह कहा जाना कि 18 साल पूरे होने पर वोट डाल सकते हैं, लेकिन शराब नहीं पी सकते। यह हकीकत से दूर रहने जैसा है। उन्होंने कहा कि किसी भी व्यक्ति को शराब पीने की अनुमति है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि शराब पीकर गाड़ी चलाई जाए। शराब पीकर गाड़ी चलाने को रोकने के लिए कानून है। बता दें कि सरकार की तरफ से शराब पीकर गाड़ी चलाने का उदाहरण इसलिए दिया गया क्योंकि याचिका कर्ता संगठन का नाम ‘कम्युनिटी अगेंस्ट ड्रंकन ड्राइविंग’ है।

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गौरतलब है कि याचिका कर्ता ने यह आशंका जाहिर की है कि शराब पीने की उम्र 25 से 21 वर्ष करने से शराब पीकर गाड़ी चलाने के मामले बढ़ेंगे। इसके साथ ही याचिका में बार, पब, शराब की दुकानों और अन्य खाद्य एवं पेय आउटलेट सहित शराब पीने और परोसने वाले स्थानों में निर्धारित आयु की जांच की मांग की गई है। इसके अलावा दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति 2021-22 में शराब पीने की उम्र 25 से घटाकर 21 वर्ष किए जाने पर रोक लगाने की मांग की गई है।

दिल्ली सरकार की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी और राहुल मेहरा ने कोर्ट को दलील दी कि यह किसी न किसी बहाने से सरकार की आबकारी नीति को रोकने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि आप सरकार की तरफ से दी गई दलील अपनी जगह सही है, लेकिन इस तरह से कई जगह है जहां अपराधी उम्र का लाभ उठाकर घिनौने अपराधों से मुक्त हो जाते हैं। दुष्कर्म जैसे घिनौने मामले में उम्र को लेकर बहस छिड़ी हुई है। नाबालिग के नाम पर घिनौने कृत्य करने वाले आरोपी भी बच निकलते हैं।

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