पदम पति शर्मा

उस दृश्य को याद कीजिए… पीएम मोदी का काफिला फ्लाईओवर पर 20 मिनट तक रुका हुआ है। फ्लाईओवर पर मुड़ने की स्थिति भी नहीं होती है। गाड़ी के सामने प्रदर्शनकारियों ने 20 ट्रैक्टर कतार में खड़ा करते हुए ट्रैफिक रोक रखा है। अगर कोई गुंडा-बदमाश आकर प्रधानमंत्री को एक थप्पड़ भी लगा देता तो देश की क्या इज्जत रह जाती? उस वक्त कोई आकर प्रधानमंत्री को चाकू भी मार सकता था? कोई उन‌ पर‌ पिस्तौल ‌से‌ एक गोली भी चला‌ सकता था। संयोग ठीक था कि प्रधानमंत्री किसी तरह जिंदा बच गए और जब वो लौटने लगे तो बठिंडा एयरपोर्ट पर उन्होंने पंजाब के सीएम चन्नी के अधिकारियों से सहा कि चन्नी से कह देना थैंक्स मैं जिंदा लौट रहा हूं।

स्वाधीन भारत के 75 साल के इतिहास में पहली बार किसी पीएम की सुरक्षा में इतना बड़ी सुरक्षा चूक यूं ही नहीं हुई। प्रधानमंत्री को पहले हवाई मार्ग से जाना था। अचानक मौसम खराब होने की वजह से उनको आकस्मिक रूट यानी सड़क मार्ग से जाना पड़ा। सुरक्षा एजेंसियों ने पंजाब के डीजीपी से बात की। डीजीपी ने कहा गया, सब ओके है जा सकते हैं और इसके बाद ये खबर प्रदर्शनकारियों को लीक करवा दी गई कि प्रधानमंत्री उस रास्ते से जा रहे हैं और फिर वो खतरनाक 20 मिनट सामने आए, जिसमें कुछ भी हो सकता था। दुर्भाग्यपूर्ण बात तो यह है कि काफिले में डीजीपी की गाड़ी तो थी मगर वह स्वयं नहीं थे। पंजाब के मुख्य सचिव को प्रोटोकाल के तहत मौजूद रहना था, लेकिन वह भी गायब थे। सीएम चन्नी ने कहा कि वह कोरोना के चलते एकांतवास पर थे, इसलिए उन्होंने अपने वित्त मंत्री को प्रधानमंत्री की अगवानी के लिए भेजा था। वहीं इस दौरान पंजाब के मुख्यमंत्री चन्नी ने फोन तक नहीं उठाया, जबकि वह एकांतवास से बाहर निकल कर न्यूज चैनलों को इंटरव्यू देते दिखे। उन्होंने इस घटना को सामान्य बताया।

PM Modi convoy stopped

पंजाब के सीएम शायद भूल गये थे कि प्रेसीडेंट और प्राइम मिनिस्टर की सुरक्षा ब्लू बुक के हिसाब से तय होती है। ब्लू बुक में सारी सुरक्षा डिटेल और निर्देश होते हैं, जो राज्य सरकार को करने होते हैं। स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप, लोकल-टॉप एजेंसी और पुलिस के अलावा किसी को भी मालूम नहीं पड़ सकता है कि प्रधानमंत्री का दस्ता कहां से निकलने वाला है? लेकिन जानबूझकर कांग्रेस सरकार ने प्रदर्शनकारियों के बीच में पीएम का रूट का ब्यौरा लीक करवाया। क्या यह एक सोची समझी साजिश नहीं थी?

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सच तो यह है कि एक सुविचारित रणनीति के तहत पंजाब की चन्नी सरकार ने पीएम की जान को खतरे में डाला। स्थिति पर जरा गौर कीजिए, पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष सिद्धू पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान के दोस्त हैं। पंजाब के मुख्यमंत्री चन्नी ईसाई सभाओं में नजर आते हैं। उन पर क्रिप्टो क्रिश्चियन यानी छुपे हुए ईसाई होने के आरोप लगते हैं। राहुल गांधी इटली में हैं और न कांग्रेस के दावे के अनुसार वह एक सीक्रेट मिशन पर हैं। वह न जाने क्या गुप्त मीटिंग्स कर रहे हैं? लुधियाना कोर्ट में 23 दिसंबर को आत्मघाती ब्लास्ट हुआ, जिसमें आईएसआई का नाम आया। खुफिया एजेंसियों ने पहले ही अलर्ट जारी कर रखा है कि चुनाव में आईएसआई कुछ भी कर सकती है। पाकिस्तान से पंजाब की सीमा पर लगातार ड्रोन्स देखे जा रहे हैं।

ऐसी स्थिति में पंजाब के बॉर्डर से सिर्फ 10 किलोमीटर दूर मोदी के काफिले को इस तरह खतरे में डाल दिया गया। ये बहुत बड़ा सिक्योरिटी ब्रीच है। फिर, हम ये न भूलें कि किसान आंदोलन को जिंदा रख कर चुनावी फायदा लेने की खातिर कांग्रेस ने इंदिरा गांधी के हत्यारे खालिस्तानियों से हाथ मिलाने तक से गुरेज नहीं किया है। देश किसान आंदोलन के दौरान खालिस्तानियों की सक्रिय भागीदारी देख चुका है। ये आतंकी संगठन पंजाब में एक बार फिर अपने पाकिस्तानी आकाओं की सरपरस्ती में तबाही मचाने की फिराक में है। कौन जाने कि एसपीजी कमांडो का आधुनिकतम शस्त्रों से लैस होकर पीएम मोदी की गाड़ी की जबरदस्त सुरक्षा घेरेबंदी से इनकी दाल नहीं गल सकी।

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सिद्धू हर बात पर बोलते हैं, लेकिन 24 घंटे से खामोश क्यों हैं? प्रधानमंत्री को इस मामले में बहुत सख्त कार्रवाई करनी चाहिए, क्योंकि ये देश के संवैधानिक ढांचे पर हमला करने की कोशिश थी। अगर चन्नी सरकार को दंडित नहीं किया गया तो फिर केरल और पश्चिम बंगाल की सड़कों पर भी पीएम का निकलना मुश्किल हो जाएगा। सच तो यह है कि आज समूचा देश सकते में है।

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं)

(यह लेखक का निजी विचार हैं)

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