PM Modi-Yogi Meet: दिल्ली का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर जाता है। यही वजह है कि सभी दलों की निगाहे उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव पर टिकी हुई है। बीजेपी ने यूपी में सभी राजनीतिक दलों की परेशानिया बढ़ा दी हैं। यह कई वर्षों से क्षेत्रीय दलों का वर्चस्व रहा है। इसका मुख्य कारण जातीय समीकरण है। बीजेपी इस समीकरण को साधने में काफी हद तक सफल भी हुई है। इसी का नतीजा है कि अन्य दलों का जातीय संतुलन बिगड़ चुका है। मौजूदा समय में सपा-बीजेपी को कड़ी टक्कर देते हुए नजर आ रही है। ऐसे में बीजेपी की तरफ से जारी राजनीतिक उठा पठक ने क्षेत्रीय दलों के साथ सियासी रणनीतिकारों को भी कंफ्यूज कर दिया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दिल्ली दौरे पर है। उन्होंने कल केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात करने के बाद आज प्रधानंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की है।

पीएम आवास पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मुख्यमंत्री की बैठक करीब 80 मिनट तक चली। दनों नेताओं के बीच किसी रणनीति पर चर्चा हुई इसकी जानकारी किसी को नहीं है। मीडिया हर बार की तरह इस बार भी अपनी सुर और ताल बजाते हैं यूपी में जल्द कैबिनेट विस्तार की कयासबाजी में लगी हुई है। जबकि सच यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का फैसला हमेशा मीडिया के कयासबाजी से अलग ही आता है। ऐसी उम्मीद है कि इस बार में बीजेपी में कुछ ऐसा होने वाला है जो मीडिया कह कयासबाजी से अलग होगा। क्योंकि मीडिया का एक धड़ा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को विफल साबित करने के प्रयास में लगा हुआ है। जबकि हकीकत इससे ठीक उलट है।

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प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी मीडिया खबरों से हटकर हकीकत के पहलू को देखती है। पार्टी सूत्रों की माने तो हकीकत के पहलू में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की छवि केंद्रीय नेतृत्व में सबसे बेहतर है। ऐसे में मुख्यमंत्री के उत्तर प्रदेश से हटने की बात केवल कोरी कल्पना है। बीजेपी 2022 का चुनाव योगी के नेतृत्व में लड़ेगी यह बिल्कुल तय माना जा रहा है। हालांकि इससे पहले बीजेपी शीर्षनेतृत्व कुछ बड़ा धमाका करने वाला है इस आशंका को खारिज नहीं किया जा सकता। क्योंकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अमित शाह से मुलाकात के बाद अनुप्रिया पटेल की मुलाकात और उत्तर प्रदेश के ही निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय कुमार निषाद और संत कबीरनगर से सांसद प्रवीण निषाद की मुलाकात किसी बड़ी रणनीति का हिस्सा हो सकता है।

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