लखनऊ: योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) यानी आमजन के विश्वास का सबसे बड़ा नाम। तभी तो योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के एक आह्वान पर मतदाताओं ने पहली बार सभी 17 नगर निगम में भाजपा के महापौर को जिता दिया। 13 से अधिक निगमों में भाजपा का बोर्ड बनवा दिया और 27 वर्ष बाद आजम खान की हुकूमत हिलाकर स्वार-टांडा में भाजपा गठबंधन की पताका फहरा दी। छानबे सीट पर कब्जा बरकरार रखा। फिर उच्च सदन में योगी की रणनीति काम आई और यहां भी उनके नेतृत्व में भाजपा को दोनों सीटें मिलीं। 18 दिन में यह तीनों बड़ी जीत योगी के प्रति जनविश्वास का प्रतीक है।

ज्येष्ठ मास की तपती दोपहरी और गर्मी में योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने सभी नगर निगमों में पहुंचकर भाजपा प्रत्याशियों के लिए वोट मांगा। योगी आदित्यनाथ के आह्वान का असर रहा कि पहली बार सभी 17 सीटों पर भाजपा के महापौर जीते और 13 से अधिक निगमों में भाजपा का बोर्ड बना। यही नहीं, पहली बार महिलाओं व अल्पसंख्यक वर्ग के भी प्रतिनिधियों को भाजपा से बड़ी जीत मिली। योगी ने दोनों चरण में धुंआधार प्रचार किया।

स्वार-टांडा में 27 वर्ष बाद सपा का वर्चस्व मिट्टी में मिला

योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता ऐसी है कि स्वार-टांडा विधानसभा चुनाव में 27 वर्ष बाद सपा का वर्चस्व मिट्टी में मिल गया। 1996 से आजम खां के कब्जे वाली इस सीट पर भाजपा के सहयोगी अपना दल (एस) के शफीक अहमद अंसारी ने 8724 वोटों से जीत हासिल की। भाजपा समर्थित उम्मीदवार को 68630 वोट मिले। वहीं योगी आदित्यनाथ के मिर्जापुर में अपील का असर यह हुआ कि छानबे सीट पर रिंकी कौल को मतदाताओं ने कप-प्लेट में जीत की चाय पिलाई। रिंकी ने अपना दल से 9587 वोटों से जिताकर लखनऊ पहुंचाया।

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उच्च सदन में भी कार्यकर्ता ही बुलंद करेंगे आवाज

उच्च सदन में भाजपा की तरफ से प्रदेश उपाध्यक्ष पद्मसेन चौधरी और मानवेन्द्र सिंह को योगी की रणनीति ने जीत दिला दी। अखिलेश यादव द्वारा जबर्दस्ती चुनाव थोपने की दोमुंही रणनीति पर योगी का विश्वास भारी रहा। यहां मानवेंद्र सिंह को 280 और पद्मसेन चौधरी को 279 और अखिलेश के रामकरण निर्मल 116 और रामजतन राजभर को 115 वोट मिले। योगी-योगी की यह गूंज उच्च सदन में भी सोमवार को गूंजती रही।

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