Chhath Puja 2022: दीपावली पर्व के बाद कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से छठ पूजा (Chhath Puja) की शुरुआत हो जाती है। छठ महापर्व (Chhath Puja) शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। छठ में महिलाएं करीब 36 घंटे का व्रत रखती हैं। छठ पूजा (Chhath Puja) के दौरान छठी मईया और सूर्यदेव की पूजा-अर्चना की जाती है। शास्त्रों के मुताबिक छठी मईया-सूर्य देव की मानस बहन हैं। छठ का महापर्व (Chhath Puja) पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है। इस पर्व को चार दिनों तक मनाने की परंपरा है।

कब से कब तक है षष्ठी तिथि

षष्ठी तिथि 30 अक्टूबर 2022 को सुबह 05:49 बजे से प्रारंभ होगी, जो कि 31 अक्टूबर सुबह 03:27 बजे तक रहेगी।

छठ (Chhath Puja) का महापर्व शुक्रवार से शुरू

छठ पूजा का पावन पर्व दिवाली के 6 दिन बाद शुरू होता है। इस वर्ष आज यानी 28 अक्टूबर दिन शुक्रवार से छठ पूजा की शुरुआत हो गई है।

Chhath Puja

छठ पूजा (Chhath Puja) की विधि

छठ पूजा का महापर्व 4 दिनों तक चलता है। छठ पूजा की शुरुआत नहाय-खाय से होती है और उदयगामी सूर्य को अर्घ्य देने के साथ इस पर्व का समापन होता है।

नहाय-खाय (Nahay-Khaya)

28 अक्टूबर को नहाय-खाय से छठ पूजा की शुरुआत हो गई है। आज के दिन पूरे घर की साफ-सफाई की जाती है और स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लिया जाता है। आज के दिन चना दाल, कद्दू की सब्जी और चावल का प्रसाद ग्रहण किया जाता है। अगले दिन खरना से छठ व्रत की शुरुआत होती है।

खरना (Kharna)

खरना यानि व्रत 29 अक्टूबर से किया जाएगा। इस दिन महिलाएं पूरे दिन व्रत रखती हैं और शाम को मिट्टी के चूल्हे पर गुड़ वाली खीर का प्रसाद बनाती हैं। सूर्य देव की पूजा करने के बाद यह प्रसाद ग्रहण किया जाता है। इसके बाद व्रत का पारणा छठ के समापन के बाद ही किया जाता है।

खरना के अगले दिन शाम को महिलाएं नदी या तालाब में खड़ी होकर सूर्य देव को अर्घ्य देती हैं। इस वर्ष 30 अक्टूबर दिन रविवार को शाम को सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। 30 अक्टूबर यानी सूर्योदय समय छठ पूजा के दिन सुबह 06:31 बजे होगा और सूर्यास्त समय छठ पूजा के दिन सुबह 05:38 बजे है।

छठ पर्व का समापन

इस साल 31 अक्टूबर दिन सोमवार को छठ महापर्व का समापन किया जाएगा। इस दिन सूर्योदय का समय सुबह 06 बजकर 31 मिनट है। इस दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले ही नदी या तालाब के पानी में उतर जाती हैं और सूर्यदेव से प्रार्थना करती हैं। इसके बाद उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद पूजा का समापन कर व्रत का पारण किया जाता है।

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छठ पूजा की सामग्री

छठ पूजा के लिए विशेष परंपरा है। छठ का प्रसाद रखने के लिए बांस की दो-तीन बड़ी टोकरी, बांस या पीतल के बने तीन सूप, लोटा, थाली, दूध और जल के लिए ग्लास, नए वस्त्र साड़ी-कुर्ता पजामा, चावल, लाल सिंदूर, धूप और बड़ा दीपक, पानी वाला नारियल, गन्ना जिसमें पत्ता लगा हो, सुथनी और शकरकंदी, हल्दी और अदरक का पौधा हरा हो तो अच्छा, नाशपाती और बड़ा वाला मीठा नींबू, जिसे टाब भी कहते हैं, शहद की डिब्बी, पान और साबुत सुपारी, कैराव, कपूर, कुमकुम, चन्दन, मिठाई छठ पूजा में विशेष रूप से होना चाहिए।

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