बहादुरपुर/बस्ती: जब-जब धरती पर पाप बढ़ता है तब-तब भगवान किसी न किसी रूप में जन्म लेते हैं और पापों से पृथ्वी को मुक्त करवाते हैं। यह बातें अवध धाम से पधारे श्रीमद्भागवत मर्मज्ञ (Shrimad Bhagwat Katha) पंडित सुशील शास्त्री ने कही। वे बहादुरपुर विकास क्षेत्र के ऐलिया में स्थित मरही माता मन्दिर पर चल रही सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा (Shrimad Bhagwat Katha) के चौथे दिन श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के दौरान कही।

भगवान श्रीकृष्ण का जन्म होते ही भगवान श्रीकृष्ण के जयकारों तथा नंद के आनन्द भयो, जय कन्हैयालाल की के जयकारों से समूचा मंदिर परिसर गूंजायमान हो उठा। कथा के दौरान कथा व्यास ने भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन कर धर्म-अर्थ, काम-मोक्ष की महत्ता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि जब-जब अत्याचार और अन्याय बढ़ता है, तब-तब प्रभु का अवतार होता है। प्रभु का अवतार अत्याचार को समाप्त करने और धर्म की स्थापना के लिए होता है। जब कंस ने सभी मर्यादाएं तोड़ दी तो प्रभु श्रीकृष्ण का जन्म हुआ।

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भगवान की महिमा का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि जेल में बंद वासुदेव व देवकी के आठवें पुत्र के रूप में भगवान कृष्ण के जन्म लेते ही पहरा दे रहे सिपाही सो जाते हैं। वासुदेव की बेड़ियां टूट जाती हैं। प्रभु के बाल स्वरूप को लेकर यमुना नदी पार करते हुए वह भारी बरसात में गोकुल पहुंच जाते हैं। वहां से यशोदा की पुत्री को लेकर पुन: मथुरा की जेल में आ जाते हैं। राजा कंस योगमाया को मारने की कोशिश करता है, लेकिन योगमाया उसके हाथ से छूट जाती है।

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वह कहती है कि कंस तुझे मारने वाला पैदा हो चुका है। कंस के अत्याचारों से कराहती प्रजा व धरती पर बढ़ते हुए पापों के कारण भगवान श्री हरि को द्वापर में भगवान कृष्ण के रूप में अवतरित होना पड़ा। प्रभु ने अपनी बाल लीलाओं के दौरान अत्याचारियों व राक्षसों का नाश करके प्रजा की रक्षा की।

कथा के दौरान आयोजक विजय प्रकाश ओझा, आचार्य बुद्धि सागर जी महाराज, अमरीश पांडेय, कृष्ण मणि ओझा, विंध्याचल ओझा, विशाल ओझा, कैलाश कुमार ओझा, उपेंद्र ओझा, रोहित ओझा, दुर्गा प्रसाद ओझा, स्नेहिल ओझा, संजय ओझा, रौनक पांडेय, विनीत ओझा, अंकित ओझा सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं नें अमृतमयी कथा का रसपान किया।

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