वाशिंगटन: तालिबान ने अफगानिस्तान पर अपना राज स्थापित कर चुका है। ऐसे में सभी देश अपने लोगों को अफगानिस्तान से वापस निकालने में लगे हुए हैं। अमेरिका ने कल अपने सैनिकों को सुरक्षित वापसी कर ली है। यूएस की आखिरी उड़ान के बाद तालिबान ने जमकर आतिशबाजी कर इसका जश्न मनाया। रात के अंधेरे में गोलियों की तड़तड़ाहट से पूरा काबुल गूंज उठा। वहीं अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने तालिबान को ज्ञान देते हुए कहा कि उसे पहले अंतरराष्ट्रीय वैधता और समर्थन हासिल करना होगा। साथ ही उन्होंने कहा कि यह समूह अपनी प्रतिबद्धताओं और दायित्वों को पूरा कर सकता है। बता दें कि अमेरिका की तरफ से मंगलवार को अफगानिस्तान में अपने मिशन की समाप्ति के कुछ घंटे बाद राष्ट्र को संबोधन के दौरान विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कही।

उन्होंने कहा कि तालिबान अंतरराष्ट्रीय वैधता और समर्थन चाहता है। इसके लिए उसे प्रतिबद्धताओं और दायित्वों को पूरा करना होगा। इसके लिए उसे यात्रा की छूट देनी होगी। इसके अलावा महिलाओं और अल्पसंख्यकों के साथ अफगान के नागरिकों के मूल अधिकारों का सम्मान, आतंकवाद पर अपनी प्रतिबद्धताओं को साफ करना होगा। उन लोगों के खिलाफ प्रतिशोध की हिंसा छोड़नी होगी जो अफगानिस्तान में रहना पसंद करते हैं। अमेरिका का यह बयान तालिबान को शांत देश बनाने के लिए है।

America withdrawal Afghanistan

तालिबान की सच्चाई हर किसी को पता है। ऐसे में अमेरिका का यह बयान अपने आप में हास्यास्पद है। क्योंकि अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन उससे आतंकवाद पर रणनीति तैयार करने की बात कर रहे हैं, जिसकी नींव ही आतंकवाद पर पड़ी है। तालिबान आज जिस मजबूत स्थिति में है, इसके लिए अमेरिका जैसी विदेशी ताकतें हैं। तालिबानी लड़ाकों के हाथ में अमेरिकी निर्मित विदेशी हथियार आखिर कहां से आए हैं। बस दिक्कत तब होती है, जब खुद पर खतरा मंडराने लगता है।

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तालिबानी जो आतंकवाद और क्रूरता की सारी हदें पार कर चुका है, वह दुनिया के प्रति अपनी क्या प्रतिबद्धता जाहिर कर सकता है यह सोचने वाली बात है। सवाल यह भी है कि अमेरिका को अगर यह लग रहा है कि तालिबान उसकी बात सुनेगा और उस पर अमल करेगा, तो उसे अफगानिस्तान छोड़ने की क्या जरूरत थी। फिलहाल दुनिया के लिए तालिबान बड़ा संकट बनकर उभर रहा है, इस पर सभी देशों को गंभीरता से विचार करना होगा।

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