आगरा: कहते हैं कि बिना आग के धुआ नहीं उठता। कोरोना काल के दौरान अस्पतालों पर धन उगाही, लापरवाही के जो आरोप लगे वह अकारण नहीं थे। हालांकि इस दौरान कई अस्पतालों पर कार्रवाई भी हुई। तो वहीं कुछ ऐसे अस्पताल भी हैं जो अपनी रसूख और पहुंच के चलते कार्रवाई से बचे भी रह गए। लेकिन इन सबके बीच मरीज और मरीज के तीमारदारों को काफी संघर्ष करना पड़ा। वहीं प्रदेश के आगरा जिले में स्थित पारस हॉस्पिटल का जो वीडियो वायरल हुआ है, वह अस्पताल व्यवस्था पर तो सवाल खड़ा ही करता है, साथ ही पूरी मानवता को झकझोर देने वाला है। हालांकि अब इस अस्पताल को सील करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। अस्पताल में एसपी सिटी समेत बड़ी संख्या में पुलिस फोर्स की तैनाती कर दी गई है। लेकिन सवाल यह है कि अस्पताल के इस प्रयोग से जिन 22 मरीजों की जान चली गई, क्या वह फिर आ सकेंगे।

जानकारी के मुताबिक अस्पताल में भर्ती मरीजों को दूसरे अस्पतालों में शिफ्ट किया जा रहा है। बता दें कि पारस हॉस्पिटल का जो वीडियो वायरल हो रहा है, उसमें हो रही बातों को सुनकर हंगामा मच गया है। वीडियो के मुताबिक अस्पताल में जानलेवा मॉकड्रिल की गई थी। वीडियो में सुना जा रहा है कि 5 मिनट में छंट गए 22 मरीज। 74 बचे हैं… इन्हें भी टाइम मिल जाएगा।

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22 मरीजों की गई थी जान

बता दें कि पारस हॉस्पिटल में ऑक्सीजन मॉकड्रिल के दौरान 22 मरीजों के मौत का मामला सामने आया है। मीडिया खबरों के अनुसार मॉकड्रिल के दौरान पांच मिनट में ही 22 मरीजों की मौत हो गई। इसी से जुड़ा हुआ अस्पताल का एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। इस वीडियो में हॉस्पिटल के मालिक बोलते हुए सुना जा रहा है कि 26 अप्रैल को ऑक्सीजन की कमी के चलते सिर्फ 5 मिनट के लिए ऑक्सीजन की सप्लाई को रोक दी गई थी। यह देखने का प्रयास किया गया था कि क्या गंभीर मरीज जरूरत पड़ने पर बिना ऑक्सीजन के भी जिंदा रह सकते हैं।

वहीं इस संदर्भ में बात करते हुए आगरा के डीएम ने 22 मरीजों की मौत को आधारहीन बताया है। उन्होंने कहा कि 26 और 27 अप्रैल को ऑक्सीजन की दिक्कत के चलते सात मरीजों की इस अस्पताल में मौत हो गई थी। इस अस्पताल में 22 गंभीर मरीज भर्ती थे। फिलहाल उन मरीजों की मौत का विवरण नहीं है। उन्होंने कहा कि वायरल वीडियो के आधार पर हम जांच कर रहे हैं।

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