Kahani: किसी नगर में एक प्रसिद्ध चित्रकार रहता था। देश-विदेश से उसकी चित्र प्रदर्शनी देखने हजारों लोग आते थे और उसके काम की प्रशंसा करते नहीं थकते थे। एक बार उसने सोचा कि कहीं ऐसा तो नहीं कि लोग केवल उसके मुंह पर उसकी प्रशंसा करते हैं और पीठ पीछे उसके काम में कमी निकालते हैं। यही सोच कर उसने अपनी बनायी एक प्रसिद्ध पेंटिंग सुबह-सुबह नगर के एक व्यस्त चौराहे पर लगा दी। और नीचे लिख दिया- जिसे भी इस पेंटिंग में कहीं कोई कमी नज़र आये वह उस जगह एक चिन्ह लगा दे।

शाम को जब वह पेंटिंग देखने चौराहे पर गया तो उसकी आँखें फटी-फटी रह गईं। पेंटिंग पर सैकड़ों चिन्ह लगे हुए थे। वह बहुत निराश हो गया और चुपचाप पेटिंग उठा कर अपने घर चला गया। इस घटना का उस पर बहुत बुरा असर हुआ। उसने चित्रकारी करना छोड़ दिया और लोगों से मिलने-जुलने से भी कतराने लगा। एक दिन उसके किसी मित्र ने उसकी निराशा का कारण पूछा तब उसने उदास मन से उस दिन की घटना सुना डाली। मित्र बोला, एक काम करते हैं हम एक बार और तुम्हारी बनायी कोई पेटिंग उस चौराहे पर रखते हैं। और अगली सुबह उन्होंने चौराहे पर एक नयी पेंटिंग लगा दी। पेटिंग लगाने के बाद चित्रकार उसके नीचे फिर से वही लाइन लिखने जा रहा था कि जिसे भी इस पेंटिंग में कहीं कोई कमी नज़र आये वह उस जगह एक चिन्ह लगा दे। तभी उसके मित्र ने उसे रोका और कहा इस बार लिखो- जिस किसी को भी इस पेंटिंग में कहीं भी कोई कमी दिखाई दे उसे सही कर दे।

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शाम को जब दोनों मित्र उस पेंटिंग को देखने गए तो उन्होंने देखा कि पेंटिंग जैसी सुबह थी अभी भी बिलकुल वैसी की वैसी ही है। मित्र चित्रकार को देखकर मुस्कुराया और बोला- कुछ समझे, कोई भी मूर्ख गलतियाँ निकाल सकता है और ज्यादातर मूर्ख निकालते ही हैं। लेकिन गलतियाँ सुधारने वाले बहुत कम ही लोग होते हैं। बेकार में ऐसे लोगों की राय लेने का कोई लाभ नहीं जो केवल और केवल दूसरों में कमी निकालना चाहते हैं। उन्हें नीचा दिखाना चाहते हैं, लेकिन उनको सुधारने के लिए न उनके पास समय है और न ज्ञान। इसलिये गलती तुम्हारे चित्र में नहीं बल्कि गलती ऐसे लोगों से सलाह मांगने में है। चित्रकार अपने मित्र की बात समझ चुका था और अब वह दोबारा अपना मनपसंद काम करने लगा और पेंटिंग्स बनाने लगा।

मित्र इस कहानी से हमें कुछ महत्त्वपूर्ण बातें सीखने को मिलती हैं। हमें हर किसी से उसकी सलाह या advice नहीं लेनी चाहिए। यदि हमें सलाह लेनी ही है तो अपनी फील्ड के एक्सपर्ट से ही सलाह या फीडबैक लें। हमें वो व्यक्ति बनने से बचना चाहिए जो केवल गलतियाँ निकालना जानता है। हमें वो व्यक्ति बनना चाहिए जो औरों की गलती को सुधार कर उनके जीवन को सकारात्मक बना सके।

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