आओ सबके काम
नहीं पता कब हो जायेगी, इस जीवन की शाम। मानवता के पथ पर चलकर, आओ सबके काम। तन का जब तक साथ निभाये, सांसों की ये डोर। तब तक बनो…
नहीं पता कब हो जायेगी, इस जीवन की शाम। मानवता के पथ पर चलकर, आओ सबके काम। तन का जब तक साथ निभाये, सांसों की ये डोर। तब तक बनो…
दुनिया में इंसानियत से बड़ी कोई और चीज नहीं है। दुर्भाग्य है कि लोग जैसे जैसे साधन संपन्न होते जा रहे है, उनके अंदर इंसानियत मरती जा रही है। कड़ुआ…