Pauranik Katha: राजा निमि की कथा
Pauranik Katha: श्रीरामचन्द्र जी बोले, हे लक्ष्मण! अब मैं तुम्हें शाप से सम्बंधित एक अन्य कथा सुनाता हूँ। हमारे ही पूर्वजों में निमि नामक एक प्रतापी राजा थे। वे महात्मा…
Pauranik Katha: श्रीरामचन्द्र जी बोले, हे लक्ष्मण! अब मैं तुम्हें शाप से सम्बंधित एक अन्य कथा सुनाता हूँ। हमारे ही पूर्वजों में निमि नामक एक प्रतापी राजा थे। वे महात्मा…
Kahani: पंचायत चुनाव की तारीख अभी मुकर्रर नहीं हुई थी। आरक्षण में लोग अटकलें लगा रहे थे कि इस बार कौन सी सीट आएगी। लोग उत्साह और ख्वाबों में प्रधान…
Kahani: सेठ ने अभी दुकान खोली ही थी कि एक औरत आई और बोली, सेठ जी, ये लीजिए आपके दस रुपये। सेठ ने उस गरीब-सी औरत को प्रश्नवाचक नज़रों से…
Kahani: एक व्यक्ति की नई-नई शादी हुई और वो अपनी पत्नी के साथ वापस आ रहा था। रास्ते में वो दोनों एक बडी झील को नाव के द्वारा पार कर…
Kahani: एक साधु बाबा विचरण करते हुए एक नगरी में आ पहुंचे। उन्होंने देखा की यहां की प्रजा बहुत संपन्न और खुशहाल है और अपने राजा का बहुत सम्मान करती…
Kahani: एक बहुत बड़ा सौदागर नौका लेकर दूर-दूर के देशों में लाखों-करोड़ों रुपए कमाने के लिए जाता रहता था। एक दिन उसके मित्रों ने उससे कहा- तुम नौका में घूमते…
Kahani: एक राजा था जिसने ने अपने राज्य में क्रूरता से बहुत सी दौलत इकट्ठा करके (एक तरह शाही खजाना ) आबादी से बाहर जंगल एक सुनसान जगह पर छिपा…
Kahani: पुराने समय में दो दोस्त थे। बचपन में दोनों साथ पढ़ते और खेलते थे। पढ़ाई पूरी होने के बाद दोनों दोस्त अपने-अपने जीवन में व्यस्त हो गए। एक दोस्त…
Pauranik Katha: महाराज सत्राजित का भगवान भास्कर में स्वाभाविक अनुराग था। उनके नेत्र कमल तो केवल दिन में भगवान सूर्य पर टकटकी लगाये रहते हैं, किंतु सत्राजित की मनरूपी आंखें…
Kahani: एक बार एक किसान जंगल में लकड़ी बिनने गया तो उसने एक अद्भुत घटना देखी। एक लोमड़ी के दो पैर नहीं थे, फिर भी वह खुशी-खुशी घसीट कर चल…