Kavita: अभी समय है जागो प्रियजन

आंख खोल कर देखो अब तो, बंग बंधु क्या संदेश दे रहे। कान खुले होते यदि तेरे, देश विभाजन कभी न होता।। अभी समय है जागो प्रियजन, स्वाभिमान कुछ शेष…

Kavita: एक अनजान से रिश्ते को

मैंने देखा है फिल्मों में वो लड़के जो बना करते हैं एक टूटी सी लड़की का सहारा कन्धा कहलाये जाते हैं। मारते हैं फटीक वो अपनी ही मोटरसाइकिलों पे बैठाकर…

Kavita: नदी की पुकार

नदी पुकार रही है हमको, मिल कर मुझे बचाओ। अविरल निर्मल सदा बहूं, य़ह सब को समझाओ।। मैं बची बचोगे तुम भी, य़ह सम्भावित सत्य है। तुम से है सम्बन्ध…

Kavita: स्त्रियों की स्थिति अब बहुत बेहतर हो चुकी है

स्त्रियों की स्थिति अब बहुत बेहतर हो चुकी है जब-जब मुझे ऐसा कोई भ्रम होने लगता है मैं चला जाता हूँ सार्वजनिक शौचालय जहां दरवाज़ों के पीछे अनजान स्त्रियों के…

Kavita: बहानेबाजी

काम करने का एक ही रास्ता मेहनत से सदा रखें वास्ता ना काम करने के सौ बहाने बातों से ही किले बनाने।। जो हैं मेहनत के अनुयाई उन्होंने मार कभी…

Kavita: नदियों की दुर्गति से समझें

है शरीर यदि स्वस्थ्य हमारा, हम कुछ भी कर सकते हैंI कोई असम्भव कार्य नहीं है, ऊंची उड़ान भर सकते हैं।। स्वस्थ शरीर के लिए चाहिए, नस नाड़ी सब स्वस्थ्…

Kavita: हारे हुए लोग कहाँ जायेंगे?

हारे हुए लोग कहाँ जायेंगे? हारे हुए लोगों के लिए कौन दुनिया बसाएगा? उन पराजित योद्धाओं के लिए, तमाम शिकस्त खाए लोगों के लिए। प्रेम में टूटे हुए लोग, सारी…

Kavita: परीक्षाओं में असफल हुए पुरुष

परीक्षाओं में असफल हुए पुरुष अक्सर प्रेम में भी असफल हो जाते हैं। विवाह की पहली रस्म पुरुष की आय पूछना होती है दूसरी पुरुष की आयु तीसरी पुरुष का…

Kavita: हिंदू हिंसक होता तो

आतंक का कोई मज़हब नहीं जो रोज़ हमें समझाते हैं। हिंदू हिंसक होते है ये संसद में चिल्लाते हैं। कमर में बाँधके बम फटने क्या हिंदू कोई जाता है। सर…

Kahani: क्या लगता है मैं रुकूँगा

क्या लगता है मैं रुकूँगा नहीं, असंभव। क्या लगता है मैं झुकूँगा नहीं, असंभव।। कष्टों को खूँटी पर रखकर सूर्य से नज़र मिलायेंगे। असि मनोबल की लेकर रण-भूमि में भिड़…

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