Acharya Vishnu Hari Saraswati
आचार्य विष्णु हरि सरस्वती

आचार्य विष्णु हरि सरस्वती

मिया न बनने पर कुता बना कर घूमाने, कुते की तरह भोंकने के लिए बाध्य करने, मुसलमानों को अपना बाप कहने के लिए बाध्य करने, बड़े यानी गाय का मांस खाने का वायदा करने के लिए बाध्य करने और जमकर पिटाई करने आदि के प्रसंग में शिवराज सिंह की सरकार कितना झूठ बोल रही है, कितना सत्य को छिपा रही है, कितना अपराधियों को बचा रही है, कितना पुलिस अधिकरियों को बचा रही है, इससे संबंधित तथ्य देखेंगे तो पाएंगे कि शिवराज सिंह चौहान सिर्फ नौटंकीबाज हैं। ये हिन्दू समर्थक या फिर हिन्दू हित रक्षक कभी भी नहीं थे और न ही हैं। ये सिर्फ मुस्लिम समर्थक हैं, मुस्लिम अपराधियों को संरक्षण देने वाले हैं। धर्मातंरण कराने और अपनी हिंसा से हिन्दू आबादी को आंतकित करने वाली मुस्लिम धर्मातरंण टोली को बचाने तथा जिहादी समर्थक अधिकारियों को संरक्षण देने की नीति घातक भी हो सकती है। शिवराज सिंह चौहान का हस्र भी कर्नाटक की भाजपा सरकार की तरह ही हो सकता है। उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश का विधानसभा चुनाव सिर पर है।

मुस्लिम धर्मातंरण करतूत के खिलाफ कोई एक दो नहीं बल्कि दस दिनों तक एफआईआर रोकी गयी, एफआईआर दर्ज नहीं की गयी। इस दौरान पीड़ित युवक विजय और उसके परिजन पुलिस अधिकारियों के पास और भाजपा नेताओं के पास दौड़ते रहे। पुलिस अधिकारी पीड़ित युवक विजय और उसके परिजनों को गालियां बकते हैं। भगाने के पहले धमकी देते हैं कि तुम्हारी बातें झूठी है, तुमलोग दंगा कराना चाहते हो, फिर आओगे तो सीधे जेल भेज देंगे। वास्तव में शिवराज सिंह सरकार की पुलिस मुस्लिम अपराधियों पर कार्रवाई करने से डरती है। पुलिस और प्रशासन का ऐसा रवैया सरकार के समर्थन और संरक्षण के बिना संभव ही नहीं है। जैसी सरकार होती है वैसी ही पुलिस होती है, वैसा ही प्रशासन होता है।

जब शिवराज सिंह की सरकार एक न सुनी, हर जगह से उदासीनता और निराशा मिला तब इस प्रसंग को राष्ट्रीय स्तर पर उठाया गया। केन्द्रीय गृह मंत्री और प्रधानमंत्री तक पहुंचाया गया। इसके अलावा घटना से जुड़ा हुआ वीडियो वायरल किया गया। वीडियो वायरल होने के बाद बजरंग दल के लोगों ने प्रदर्शन किया। जब वीडियो पूरे देश में वायरल हुआ और कई यूट्यूब चैनलों पर शर्मसार करने वाली घटना चली तब तहलका मचना निश्चित था। शिवराज सिंह चौहान की नींद टूटी और चुनाव के समय ऐसी बदनामी भारी पड़ने का डर सताने लगा। फिर शिवराज सिंह की सरकार जागी और खानापूर्ति के लिए कार्रवाई करने के लिए बाध्य हुई। मानवता को शर्मसार करने वाला वीडियों वायरल नहीं होता तो मुस्लिम धर्मातंरण टोली की हिंसक करतूत सामने आती भी नहीं।

शिवराज सिंह चौहान की खानापूर्ति वाली कार्रवाई पर प्रशंसा करने वाले हिन्दू मूर्ख हैं, वे सच्चाई नहीं जानते हैं। कैसी कार्रवाई हुई, यह भी देख लीजिये। वीडियो में जो मुस्लिम युवक हिंसा करते दिख रहे हैं वे गिरफ्तार हुए हैं पर वीडियो में जो नहीं दिख रहे हैं, उन पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। इस घटना के तार भेापाल के मस्जिदों और मौलवियों तक जुड़े हुए हैं। कई मौलवी धर्मातंरण के अपराध में शामिल हैं। मस्जिदों के मौलवियों ने अपने-अपने क्षेत्र में ऐसे मुस्लिम युवक तैयार कर रखे हैं और उन्हें हथियार, वाहन और पैसे से लैश कर रखे हैं जो धर्मातरंण और लव जिहाद के खेल में लगे हुए हैं। भोपाल शहर में मुस्लिम युवकों की ऐसी दर्जनों टोली है, ऐसी टोली हिन्दू युवकों को अपने जाल में फंसाती है और ब्रैन बास कर गाय का मांस खिलाती है और इस्लाम बनने के लिए प्रेरित करती है, धनवान बनने का ख्वाब दिखाती है। अगर कोई इसका विरोध करता है तो फिर उसका हस्र भी विजय की तरह किया जाता है। पुलिस ने धर्मातरण और लव जिहाद की मुस्लिम टोली पर हाथ क्यों नहीं डाली?

सिर्फ एक आरोपी के घर के बाहरी हिस्से को ढहाया गया। यह कार्रवाई सिर्फ और सिर्फ हिन्दू विरोध को शांत करने के लिए किया गया। उन मस्जिदों पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई जिन पर बैठ कर मुल्ला-मौलवी धर्मातंरण और लव जिहाद के लिए मुस्लिम टोलियां बनायी है और जिनका अप्रत्यक्ष तौर पर संचलान करते हैं। भोपाल शहर में मुस्लिम आबादी सरेआम सड़कों को घेर कर बैठी हुई है। सरकारी जमीन पर कब्जा कर बैठी हुई फिर भी भोपाल नगर निगम चुपचाप बैठा हुआ रहता है। हिन्दू इलाकों में भोपाल नगर-निगम का हथौड़ा तो जमकर चलता है पर मुस्लिम आबादी के अतिक्रमण पर हथौड़ा चलाने में भेापाल नगर निगम के हाथ कंपकपाने लगते हैं। अगर सरकारी जमीन पर कब्जा कर बैठी मुस्लिम आबादी पर कानून का हथौड़ा चलता तो फिर मुस्लिम युवक ऐसे अपराध करने से पहले सौ बार सोचते।

दस दिन तक एफआईआर करने से मना करने वाली पुलिस पर कौन सी कार्रवाई हुई है? सिर्फ एक पुलिस वाले को लाइन हाजिर किया गया है। लाइन हाजिर करना कोई सजा नहीं है। पुलिस विभाग में यह कार्रवाई खानापूर्ति वाली होती है, सामान्य कार्रवाई होती है। एफआईआर दर्ज करने से इनकार करना और गाली देकर भगाना एक बहुत बड़ा अपराध है, अपराधियों का साथ देने जैसी करतूत है। ऐसी करतूत पर पुलिस अधिकारियो की नौकरी से बर्खास्तगी होनी चाहिए थी। पुलिस अधिकारियों की बर्खास्तगी की कार्रवाई क्यों नहीं हुई?

कुछ दिन पूर्व मध्य प्रदेश के कई स्कूलों में हिन्दू बच्चों को नमाज पढ़ने, उन्हें मुस्लिम रीति-रिवाजों को मानने के लिए प्रेरित किया गया, एक बालिका विद्यालय में हिन्दू बच्चियों को बुर्का पहनाया गया। अभिभावकों को आंदोलन करना पड़ा। हिन्दू अभिभावकों के आंदोलन के बाद स्कूल प्रबंधकों के खिलाफ खानापूर्ति के लिए तो कार्रवाई हुई पर सबक सिखाने जैसी कार्रवाई नहीं हुई। ऐसे जिहादी स्कूलों पर शिकायतों के बाद भी एक्शन नहीं लेने वाले डीएम और एसपी सहित शिक्षा विभाग के अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं हुई। डीएम, एसपी और शिक्षा विभाग के अधिकारी जिहादी स्कूलो पर समय पर और सबककारी कार्रवाई न कर जिहादी करतूत के अपराध के भागीदार ही बनें हैं। ऐसे डीएम और एसपी और शिक्षा विभाग के अधिकारियों पर शिवराज सिंह की सरकार ने कौन सी सबककारी कार्रवाई की है?

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अगर आप शिवराज सिंह चौहान के समर्थक हैं तो फिर आप खरगोन घूम आइये, हिन्दुओं की दुर्दशा और पीडा देख आइये। खरगोन में हिन्दू कश्मीर से भी भयानक स्थिति में पड़े हुए हैं और अपमान-हिंसा का दंश झेल रहे हैं। बार-बार मुस्लिम आबादी हिन्दुओं का अपमान करती है, हिंसा का शिकार बनाती है। हिन्दू लड़कियों को सरेआम छेड़छाड़ का शिकार बनाया जाता है। लेकिन पुलिस और प्रशासन की मुस्लिम समर्थक मानसिकता टूटती नहीं है। सिर्फ खरगोन ही नहीं बल्कि इंदौर और उज्जैन आदि बड़े शहरों में इसी तरह की स्थिति बनी हुई है। इन्दौर में अभी-अभी बजरंग दल के कार्यकर्ताओं पर पुलिस ने बर्बर लाठी चार्य किया था।

शिवराज सिंह चौहान उस तरह से शासन देने में विफल रहे हैं जिस तरह के शासन उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ और असम में हिमंता विश्वा शर्मा दे रहे हैं। कर्नाटक में भी ऐसी ही स्थिति थी। कर्नाटक में हिन्दू एक्टिविस्टों की लगातार हत्याएं हो रही थी, मुस्लिम हिंसा चरम पर थी। हिन्दू एक्टिविस्ट नाराज होकर निष्क्रिय बन गये। इसका दुष्परिणाम यह हुआ कि कर्नाटक में भाजपा की सरकार का पतन हो गया। मध्य प्रदेश में चुनाव सिर पर है। अगर फिर शिवराज सिह चौहान की ऐसी ही स्थिति बनी रही तो फिर उनका हस्र भी कर्नाटक की भाजपा सरकार की तरह ही होगा।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

(यह लेखक के निजी विचार हैं)

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