रविंद्र प्रसाद मिश्र
लखनऊ। कोरोना (corona) के कहर से पूरा सूबा जूझ रहा है। अस्पताल फुल चल रहे हैं। कोरोना से संक्रमण और मौत का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। विधायक व मंत्री अस्पतालों की दुर्व्यवस्था को लेकर सरकार को पत्र लिख रहे हैं। लेकिन सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का बयान आता है कि प्रदेश में कोरोना संक्रमण के मामले सीमित हैं। आक्सीजन की कोई कमी नहीं है, अस्पतालों में बेड बढ़ाए जा रहे हैं। जबकि हकीकत मुख्यमंत्री के बयान से ठीक उलट है। अस्पतालों में मरीजों का कोई सुनने वाला नहीं है। डॉक्टर किस मरीज को देखेंगे यह वहां तैनात सुरक्षा गार्ड तय कर रहे हैं। मतलब मरीज भगवान भरोसे हैं। इलाज के लिए बड़े शहरों में हाहाकार मचा हुआ है। वहीं अब गांवों की स्थिति दयनीय होती जा रही है।
खामोश सन्नाटे की ओर गांव
कोरोना का संक्रमण ग्रामीण अंचलों में भी काफी हद तक फैल चुका है, लेकिन सब चुप हैं, क्योंकि यहां न किसी की जांच हो रही है और न ही इलाज मिल पा रहा है। बस इतना जानने को मिलता है फलां को दो दिन से बुखार हो रहा था और आज उनकी मौत हो गई। ऐसे लोगों का अंतिम संस्कार भी पूरे कर्मकांड के तहत किया जा रहा है, जिससे गांवों में कोरोना का संकट और गहराता जा रहा है। हालांकि जांच न होने की वजह से यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि कोरोना की वजह से ग्रामीणों की मौत हो रही है। शायद ही कोई गांव हो जहां जुकाम—बुखार से किसी की मौत न हुई हो। लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तरह पूरे तंत्र को लग रहा है, स्थिति नियंत्रण में है। जबकि गांवों में अब खामोश सन्नाटा फैल रहा है। हर कोई अंदर से दहशत में है।
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जांच व इलाज के अभाव में मर रहे लोग
गांव का गरीबी और बेबसी से बहुत करीब का रिश्ता रहा है, तभी तो जैसे—जैसे गरीबी कम होती जा रही है, गांव खत्म होते जा रहे है। ग्रामीणों के बेबसी, मजबूरी और लाचारी का फायदा हर कोई उठाता आ रहा है। इसी का नतीजा है कि शहरों में किसी के जांच में देरी होने, अस्पतालों में बेड न मिलने, आक्सीजन की कमी पर हंगामा मचा हुआ है। जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में जांच व इलाज के अभाव में लोग मर रहे हैं, लेकिन कोई पूछने वाला नहीं है। ग्रामीण क्षेत्रों में बने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर या तो सन्नाटा या फिर डाक्टरों की मनमानी है। फिलहाल समय रहते ग्रामीणों के बारे में यदि नहीं सोचा गया तो तो स्थिति काफी भयावह हो सकती है।
जिला अस्पतालों में भी नहीं हो रही सुनवाई
कोरोना के खतरे को देखते हुए अस्पतालों में तैनात मरीजों को न देखने में ही अपनी भलाई समझ रहे हैं। दूर—दराज क्षेत्रों से पहुंच रहे मरीजों को नंबर लगाने की बात पर टरका दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह जनपद से सटे शहर बस्ती की हालत बेहद दयनीय बनी हुई है। बस्ती जनपद के पतिला गांव निवासी राजेश दूबे बुखर की समस्या पर दिखाने जिला अस्पताल गए थे। वहां वार्ड ब्वाय की तरफ से नंबर लगाने की बात कह कर करीब एक हफ्ते तक टरकाया गया। इस दौरान राजेश की हालत इतनी बिगड़ गई कि वह घर लौट पाने की भी स्थिति में नहीं रह गए।
उन्होंने अस्पताल की व्यवस्था पर फेसबुक लाइव किया, बावजूद इसके शासन—प्रशासन पर इसका कोई असर नहीं पड़ा। इतना जरूर हुआ कि वीडियो देखकर क्षेत्र के लोगों को राजेश दूबे के जिला अस्पताल में तड़पने की जानकारी मिल गई और लोग अस्पताल पहुंच कर राजेश को घर ले आए। गांव में जिन्हें लोग झोलाछाप डॉक्टर बोलते हैं वहीं राजेश दूबे के लिए धरती का भगवान बने हुए हैं।
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