Kahani: भाभी आपकी पिंक वाली साड़ी चाहिए, मेरी फ्रेंड की शादी है। राधिका की ननद साक्षी ने राधिका से कहा तो राधिका बोली- इसमें पूछने की क्या बात है! अलमारी खुली है, जाओ ले लो। तो साक्षी बोली- भाभी मेकअप भी आपको करना पड़ेगा राधिका मुस्कुराते हुए बोली। “अच्छा ठीक है” कहकर अपने अतीत में चली गई।

राधिका के दो बड़े भाई थे। उनकी शादियाँ हुई, लेकिन भाभियाँ कभी राधिका से प्यार नहीं करती थी और उसकी मम्मी से भी अच्छा व्यवहार नहीं करती थी। राधिका ने सिर्फ एक बार अपनी भाभी से बैग माँगा था तो भाभी ने बहुत अपमानित करते हुए कहा था, इतने महंगे बैग की औकात नहीं है तुम्हारी। ये मेरे मायके से मिला है। जबकि राधिका के भाई की तनख्वाह भी बहुत अच्छी थी, घर में कोई कमी नहीं थी, राधिका के पापा की भी बहुत अच्छी नौकरी थी। बस भाभियों को राधिका पसंद नहीं थी, क्योंकि राधिका अपने भाइयों की लाडली थी। लेकिन बहुत समझदार थी, कभी भी अपने भाई से भाभी की शिकायत नहीं करती थी। राधिका के संस्कार बहुत अच्छे थे, वो रिश्ते बनाने में विश्वास रखती थी।

राधिका की शादी बहुत अच्छे परिवार में बहुत धूमधाम से हुई। उसके मम्मी पापा ने कोई कमी न रखी। उसके पति नीरज इंजीनियर थे और बहुत संपन्न परिवार था। राधिका अपनी ननद साक्षी से बहुत प्यार करती, कभी बहन और कभी सहेलियां बन जाती वो दोनों। सासू माँ राधिका के व्यवहार से खुश भी थी और संतुष्ट भी थी कि बहु अच्छी है तो मेरी बेटी का मायका सदा बना रहेगा। राधिका ससुराल में बहुत खुश थी और उसके व्यवहार से ससुराल वाले भी बहुत खुश थे, राधिका ने सबके दिलों को जीत लिया था। शादी के दो महीने बाद राधिका का जन्मदिन था तो नीरज ने उसे एक बहुत ही खूबसूरत पिंक साड़ी उपहार में दी और साथ ही एक डायमंड रिंग भी।

साक्षी की फ्रेंड की शादी थी तो साक्षी वही पिंक साड़ी पहनना चाहती थी, उसने पूछा तो राधिका बोली पूछने की क्या बात है। राधिका ने साक्षी को अपने हाथों से साड़ी पहनाकर मेकअप किया। साक्षी खुश थी और राधिका की सासू माँ भी बहुत खुश थी। साक्षी घर से निकलने ही वाली थी, राधिका की भाभी अपने भाई का शादी का कार्ड देने आ पहुँची और साक्षी को पिंक साड़ी पहने देखा तो राधिका को एक तरफ ले जाकर बोली- ये साड़ी तो तुम्हारे पति ने उपहार में दी है, तुमने अपनी ननद को क्यों दी?

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तो राधिका बोली- भाभी रिश्ते ऐसे ही होते हैं। प्यार, सामान से नहीं अपनों से होता है। साक्षी के पहनने से साड़ी घिस नहीं जाएगी। बस साक्षी का दिल खुश हो जाएगा। अगर वो खुश, तो मैं खुश। हमारे यहाँ तेरी मेरी नहीं, सबका समान अधिकार है। आज तो साड़ी की बात है, अगर अपने गहने भी देने पड़े तो भी मैं जरूर दूँगी, क्योंकि यहाँ प्यार की कमी नहीं है। मैं रिश्ते बनाए रखना चाहती हूँ। साक्षी को किसी चीज की कमी नहीं है, उसके माता-पिता और भाई सक्षम हैं, ये तो बस ननद भाभी का प्यार है। भाभी तो जैसे चुप सी हो गई, लेकिन नीरज और सासू माँ बहुत खुश थे, क्योंकि राधिका की आवाज उन तक भी पहुँच रही थी। सासुमां ने राधिका के माथे पर प्यार करते हुए कहा कि इसे कहते हैं अच्छे संस्कारों वाली बहू। एक को छोड़ बाकि सबके चेहरों पर मुस्कराहट थी।

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