त्रिलोक सिंह ठकुरेला
Kahani: रघुराज सिंह बहुत खुश थे। उनके लड़के से अपनी लड़की का रिश्ता करने की इच्छा से अजमेर से एक संपन्न एवं सुसंस्कृत परिवार आया था। रघुराज सिंह का लड़का सेना में अधिकारी है। उनके तीन अन्य लड़के उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। लड़की के पिता ने रघुराज सिंह से कहा, हम आपसे एवं आपके परिवार से पूरी तरह संतुष्ट हैं। आप भी हमारी लड़की को देख लें एवं हमारे परिवार के बारे में पूरी जानकारी कर लें।
रघुराज सिंह ने कहा, जानकारी लेने की कोई जरूरत नहीं है। हम भी आपसे पूरी तरह संतुष्ट है। लड़की के पिता ने पूछा, आपकी कोई मांग हो तो हमें बताने की कृपा करें। रघुराज सिंह बोले- हमारी कोई मांग नहीं है। बस, चाहते हैं, लड़की ऐसी हो जो परिवार में विघटन न कराये। चाहता हूँ, चारों भाई मिलकर रहें। इससे बढ़कर क्या बात हो सकती है। जब बच्चों को अच्छे संसार मिलते हैं तो पूरा परिवार एक सूत्र में बंधा रहता है। लड़की के पिता ने विनम्रतापूर्वक कहते हुए पूछा- साहब, आप कितने भाई हैं?
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रघुराज सिंह ने कहा, सात भाई, एक बहन। लड़की के पिता ने पूछा, आपके भाई क्या करते हैं? रघुराज सिंह ने बताया, सबके निजी धंधे हैं। लड़की के पिता ने पूछा, आपने अपने किसी भाई को बुलवाया नहीं? रघुराज सिंह झिझकते हुए बोले- अजी, हम भाइयों में बोलचाल बंद है। अचानक वहां खामोशी छा गयी। प्रश्न और उत्तर दोनों ही मौन थे।
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