Pranjal Mishra
प्रांजल मिश्र

Kahani: एक बार की बात है। एक लोमड़ी और खरगोश दोस्त थे। वह साथ में ही खेलते, खाते और रहते। जंगल में एक बार एक बाघ आया और उसने खरगोश को जख्मी कर दिया। खरगोश को उम्मीद थी कि उसको बचाने के लिए उसका दोस्त लोमड़ी कुछ न कुछ जरूर करेगी। लोमड़ी ने सोचा कि मैं बाघ की दोस्त बन जाती हूँ। वैसे यह खरगोश मेरे कोई काम का नहीं। खरगोश ने कहा दोस्त मेरी मदद करो। लोमड़ी ने कहा कौन सा दोस्त, मैं तुम्हारी कोई दोस्त नहीं हूँ।

यह कह कर लोमड़ी दोस्ती की नियत से बाघ के पास चली गयी। बाघ को लोमड़ी की चालबाजी समझ में आ गई और उसने घायल खरगोश को छोड़कर झपट्टा मारकर लोमड़ी को दबोच लिया। लोमड़ी कुछ समझ पाती उससे पहले उसके प्राण पखेरू ने उसका साथ छोड़ दिया।

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शिक्षा : मुसीबत में हमें अपनों की मदद करनी चाहिए। संकट के समय जो अपनों के साथ नहीं होते, फिर उनका साथ कोई नहीं देता। ऐसे लोग समाज में निंदा के पात्र बनकर रह जाते हैं।

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