लखनऊ: हमारे देश के लिए कई बलिदानियों ने अपने प्राणों की आहुति दी, लेकिन इतिहास बनाने वालों के साथ इतिहास लिखने वालों ने न्याय नहीं किया। इतिहास को गलत तरीके से तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया, जो इतिहास लिखा गया वो एकांगी है। वास्तव में अब आज़ादी का असली मतलब समझ आ रहा है। इससे पहले 2014 तक अंग्रेजों का देश में एक्सटेंशन था। उसी प्रकार की शिक्षा, संस्कृति और विश्वविद्यालय रहे, लेकिन अब चीजें बदलनी शुरू हुई हैं। उक्त उद्गार संस्कृति शिक्षा संस्थान कुरुक्षेत्र के अध्यक्ष ललित बिहारी गोस्वामी ने आज़ादी के अमृत महोत्सव पर आयोजित राष्ट्रहित सर्वोपरि कार्यक्रम के पांचवे अंक में व्यक्त किए।
यह कार्यक्रम सरस्वती कुंज, निराला नगर के प्रो. राजेन्द्र सिंह (रज्जू भैया) उच्च तकनीकी (डिजिटल) सूचना संवाद केन्द्र में विद्या भारती, एकल अभियान, इतिहास संकलन समिति अवध, पूर्व सैनिक सेवा परिषद एवं विश्व संवाद केन्द्र अवध के संयुक्त अभियान में चल रहा है। मुख्य वक्ता संस्कृति शिक्षा संस्थान कुरुक्षेत्र के अध्यक्ष ललित बिहारी गोस्वामी ने वीर सेनानियों को प्रणाम करते हुए उनकी वीर गाथाओं से परिचय कराया। उन्होंने कहा कि हमारा परिचय अमृत पुत्र के रूप में हैं, जो मरता नहीं हैं। हमारे यहां केवल शरीर नहीं है आत्मा भी है, जो नाशवान नहीं होती है। उन्होंने कहा कि हम सबके भीतर ये अमरत्व हमारी सेना और सेना नायकों की वजह से है, जो कठिन परिश्रम के साथ हमारी रक्षा के लिए तत्पर रहते हैं और कई बार हमारी रक्षा के लिए शहीद भी हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि हमारे देश के लिए जिन वीरों ने कष्ट सहा है, उनके बारे में कक्षाओं में पढ़ाना चाहिए और जन सामान्य तक उनके संघर्ष की गाथाओं को पहुंचाना चाहिए।
मुख्य अतिथि लेफ्टिनेंट कर्नल आदित्य प्रताप सिंह (मेंशन इन डिस्पैच अवार्ड से सम्मानित) ने कहा कि 2014 के बाद लोगों के अंदर नई सोच विकिसत हुई। हम सभी में इतिहास बोध और समझ कम थी। उन्होंने कहा कि किसी देश व राष्ट्र को चलाने के लिए कुशल नेतृत्व की आवश्यकता होती है, पहले इसका अभाव था। इसलिए हमारे हाथ से गिलिगिट-बाल्टिस्तान हमारे हाथ से चला गया। उन्होंने कहा कि असली लड़ाई 1947 व 1948 में लड़ी गई, इसके बारे में बहुत कम बताया गया है। हमें ऐसे सेनानियों, क्रांतिकारियों की वीर गाथाओं से नई पीढ़ी को अवगत कराना है ताकि नए भारत की संकल्पना को साकार किया जा सके।
कार्यक्रम अध्यक्ष विश्व हिन्दू परिषद नेपाल के संगठन मंत्री प्रह्लाद ने कहा कि राजनीतिक तौर पर भले ही भारत और नेपाल अलग हैं, लेकिन हिन्दू राष्ट्र के स्वरूप में दोनों एक हैं, दोनों की संस्कृति एक है। उन्होंने नेपाल और अंग्रेजों के बीच संघर्ष के बारे में बताया और कहा कि उस समय नेपाल के सभी क्षेत्रों ने एकजुट होकर मुक़ाबला किया और अंग्रेजों को झुकने पर मजबूर किया। उन्होंने कहा कि भले ही भारत और नेपाल अलग-अलग देश हों, लेकिन दोनों देश के बीच हिन्दुत्व और मातृत्व की भावना एक है।
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कार्यक्रम की प्रस्ताविकी पूर्व सैनिक सेवा परिषद के अध्यक्ष मेजर जनरल एनबी सिंह ने रखी। उन्होंने आजादी का अमृत महोत्सव कार्यक्रम के उद्देश्यों को स्पष्ट किया और नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जीवन गाथा बताई। उन्होंने कहा कि वह राष्ट्रहित सर्वोपरि का सर्वोत्तम उदाहरण थे, प्रत्येक व्यक्ति को उनके जीवन से प्रेरणा लेने की जरूरत है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि राष्ट्र की सेवा सिर्फ सैनिक, समाजसेवी या नेता बनकर ही नहीं बल्कि अपने-अपने क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन से भी की जा सकती है।
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रो. मनोज दीक्षित, केजीएमयू की डॉ. सुनीता तिवारी, विश्व हिन्दू परिषद नेपाल के महासचिव जितेन्द्र कुमार सिंह, भारतीय शोध संस्थान के कोषाध्यक्ष डॉ. शिवभूषण त्रिपाठी, अवध प्रांत के मंत्री हरेन्द्र श्रीवास्तव ने भी अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर मुख्य अतिथियों ने सरस्वती विद्या मंदिर वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, सेक्टर क्यू अलीगंज से आए हुए बच्चों के सवालों के जवाब भी दिए गए।
कार्यक्रम में आए अतिथियों का परिचय सरस्वती विद्या मंदिर वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय सेक्टर क्यू अलीगंज के प्रबंधक डॉ. शैलेश मिश्रा ने और आभार ज्ञापन भीमराव अम्बेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय अमेठी के प्रशासनिक प्रभारी डॉ. सुशील पांडेय ने किया। कार्यक्रम का संचालन विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश के प्रचार प्रमुख सौरभ मिश्रा ने किया। इस कार्यक्रम में अमर बलिदारी वीर चक्र नायक राजा सिंह की पत्नी चन्दराना देवी, विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश के बालिका शिक्षा प्रमुख उमाशंकर, अवध प्रांत के प्रदेश निरीक्षक राजेन्द्र बाबू, सेवा प्रमुख रजनीश पाठक, विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश के सह प्रचार प्रमुख भास्कर दूबे, शुभम सिंह, सरिता, कार्यक्रम संयोजक डॉ. मुकेश, छात्र-छात्राएं सहित आदि लोग मौजूद रहे।
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