Google News: सबसे तेज सर्च इंजन गूगल (Google) का तगड़ा झटका लगा है। राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) ने गूगल के मामले में भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) के जुर्माने के फैसले को कायम रखा है। बता दें कि भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने प्रौद्योगिकी कंपनी गूगल पर एंड्रॉयड मोबाइल उपकरणों के मामले में प्रतिस्पर्धा रोधी गतिविधियों में शामिल होने को लेकर 1,337.76 करोड़ रुपये का जुर्माना ठोका था। अपीलीय न्यायाधिकरण की दो सदस्यीय पीठ ने भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग के निर्णय में कुछ संशोधन करते हुए गूगल को आदेशों का पालन करने और जुर्माना राशि तीस दिनों के भीतर जमा करने के लिए आदेशित किया है।

गूगल (Google)

एनसीएलएटी के चेयरपर्सन न्यायमूर्ति अशोक भूषण और सदस्य आलोक श्रीवास्तव की पीठ ने मामले की सुनवाई के बाद कहा कि हम जुर्माने के निर्णय को बरकरार रखते हैं। अपीलकर्ता यानी गूगल को चार जनवरी के उसके आदेश के तहत पहले से जमा 10 प्रतिशत राशि समायोजित करने के बाद जुर्माना राशि तीस दिनों के भीतर जमा करने के लिए आदेश देते हैं। पीठ ने भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग के फैसले को बरकरार रखते हुए उसे क्रियान्वित करने के लिए गूगल को निर्धारित समय में देने के लिए कहा है। इसके अलाव आयोग के 20 अक्टूबर, 2022 को जारी आदेश में कुछ संशोधन भी किये हैं।

गूगल न्यूज (Google News)

जानकारी के मुताबिक प्रतिस्पर्धा आयोग के आदेश में जो सुधार किए गए हैं, उनमें गूगल सुइट सॉफ्टवेयर को हटाने के लिए अनुमति से संबंधित कुछ हिस्सा जुड़ा है। अपीलीय न्यायाधिकरण ने गूगल की इस दलील को खारिज कर दिया जिसमें प्रतिस्पर्धा आयोग ने जांच में प्राकृतिक न्याय का उल्लंघन की बात कही गई थी। इस बारे में गूगल से उसका पक्ष जानने की कोशिश की गई, लेकिन उसने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। गौरतलब है कि सीसीआई ने गत वर्ष 20 अक्टूबर को गूगल पर एंड्रॉयड मोबाइल उपकरणों के मामले में गैर-प्रतिस्पर्धी गतिविधियों में शामिल होने को लेकर 1,337.6 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था।

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गूगल (Google) का दावा

इस मामले में नियामक ने कंपनी को अनुचित व्यापार गतिविधियों से बचने और दूर रहने का भी आदेश दिया था। गूगल की तरफ से भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग के इस आदेश को अपीलीय न्यायाधिकरण में चुनौती दी गई थी। गूगल ने अपनी याचिका में दावा किया था कि भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग की जांच उनके प्रति ‘निष्पक्ष’ नहीं थी। जिन दो लोगों की शिकायत पर प्रतिस्पर्धा आयोग ने जांच शुरू की थी, वे सभी उसी कार्यालय में काम कर रहे थे, जो गूगल की जांच कर रहा था। कंपनी की दलील के मुताबिक, सीसीआई भारतीय उपयोगकर्ताओं, ऐप विकसित करने वालों के सबूतों की अनदेखी किया है, जिससे वह ‘निष्पक्ष, संतुलित और कानूनी रूप से ठोस जांच’ करने में विफल रहा।

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