ईसा सतगुरु खुदा बुद्ध अब,
सुन लो हे भगवान।
मांग रहा हूं दे दो सबको,
पहले सी मुस्कान।।
रोये-रोये सभी यहां हैं,
नहीं कहीं उल्लास।
सांसे होती बंद देख कर,
टूट रही हर आस।
आंसू निशदिन आंखों से अब,
बहा रहा इन्सान।
मांग रहा हूं दे दो सबको,
पहले सी मुस्कान।।
हम सबको तो किया काल है,
बहुत अधिक लाचार।
अपनों को अब खो देने से,
हिम्मत हैं सब हार।
बस्ती-बस्ती क्रन्दन है बस,
रोशन है शमशान।
मांग रहा हूं दे दो सबको,
पहले सी मुस्कान।।
सन्नाटे से कम्पित हैं सब,
भय का है आभास।
पीड़ा सबकी देख ह्रदय में,
भरा बहुत संत्रास।
बनकर अब तो नील कंठ तुम,
कर लो फिर विषपान।
मांग रहा हूं दे दो सबको,
पहले सी मुस्कान।।
कठिन वक्त ये चुभा रहा है,
विपदाओं का शूल।
कृपा सिंधु अब यहां खिला दो,
खुशियों के कुल फूल।
होंठों पर कर दो सबके अब,
फिर से मंगल गान।
मांग रहा हूं दे दो सबको,
पहले सी मुस्कान।।
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