नई दिल्ली। किसी ने शायद ही कभी ऐसा सोचा हो कि एक समय आएगा जब लोग अपने हिसाब से नहीं बल्कि उस समय के हिसाब से रहने को मजबूर हो जाएंगे। बदलते परिवेश में बच्चे, जवान व बुजुर्ग सामामजिक सरोकारों से कटते हुए अपने हिसाब से जिंदगी जीने को अपना अधिकार मान बैठे थे। तभी तो गलती करने पर बच्चों को पीटने पर शिक्षक व अभिभावकों को कानूनी दायरे में ले आया गया। नतीजा समाने है बच्चों को समझा—बुझाकर व सजा देकर समाजिक दायरे में लाने वाले माता—पिता बुढ़ापे में बच्चों ने सहारा दिया। जबकि बच्चों को सजा देने पर जेल जाने वाले माता—पिता आज उनके जवान होने पर वृद्धा आश्रम जा रहे हैं। लेकिन कोरोनावायरस (Coronavirus) ने जहां लोगों से सामाजिक दूरी बनाने के लिए मजबूर कर दिया है, वहीं अपना के बीच यानी घर में रहने को भी विवश कर दिया है।
#Corona samay ke liye adapted..#MaskUpIndia
Dekh tere sansar ki halat kya ho gayi bhagwan
kitna badal gaya inasan
suraj na badla chand na
badla na badla re asaman
kitna badal gaya inasan@hvgoenka @kunalkamra88 @DrKumarVishwas @arunbothra pic.twitter.com/l1CKnCQ8xw
— Rupin Sharma IPS (@rupin1992) May 19, 2021
अधुनिकता के अंधी दौर में जहां नग्नता फैशन बन चुकी थी, वहीं अब बिना मास्क के बाहर निकलना यानी मौत को दावत देने जैसा है। ऐसे में एक वायरस ने इंसानों को यह समझा दिया कि इंसान चाहे जितना भी विकास कर ले, लेकिन प्राकृति जब चाहेगी उसे अपने हिसाब जीने को मजबूर कर देगी। हालांकि कोरोना की वैक्सीन भी आ गई है, अब संक्रमण का आंकड़ा भी घटने लगा है, लेकिन मास्क और पीपी किट के बिना जिंदगी अभी भी सुरक्षित नहीं है।
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कोरोनावायरस ने बच्चों, बड़ों और बुजुर्गों के रहन—सहन को किस कदर बदल दिया है, इसपर आईपीएस रुपिन शर्मा ने अपने सोशल प्लेटफॉर्म पर पुराने गाने के सााि एक वीडियो शेयर किया है। जो गाने के यथार्त और आज की बदल चुके रहन—सहन पर एकदम सटीक बैठ रहा है। बता दें कि कोरोनावायरस ने गुरुर के अकंठ में डूबे इंसानों को उनकी हैसियत को बता दी है। फिलहाल सबको जिंदगी सामान्य होने का इंतजार है। क्योंकि कोरोना के तीसरी लहर अब बच्चों को अपना शिकार बनाने पर आमदा है।
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