रविंद्र प्रसाद मिश्र

लखनऊ। कोरोनावायरस (Coronavirus) ने जहां सब कुछ बदल कर रख दिया है, वहीं उसने सरकारी व्यवस्थाओं की भी पोल खोलकर रख दिया है। सरकार जो टॉरगेट देती है, सरकारी आदमी उसे किस तरह से पूरा करता है इसका खेल अभी तक मतदान पहचान बनाने में दिखने को मिलता रहा है। जहां जिंदों का मतदाता सूची से नाम गायब रहता है, वहीं मुर्दे वोटर बने होते है। आलम यह है कि चुनाव के दौरान पुलिस को मुर्दों से शांतिभंग की आशंका होती है। यह कोई नई बीमारी नहीं यह हर पांच साल बाद चुनाव में देखने को मिलता है। दुर्भाग्य है इसके बावजूद भी जनगणना करने वालों पर न तो कार्रवाई होती और न ही मुर्दों से शांतिभंग की आशंका वाली पुलिस को कानून के दायरे में लाया जाता है। ठीक इसी तरह इन दिनों स्वास्थ्य महकमे में भी चल रहा है। जहां कोरोना की जांच रामलाल कराते हैं और जांच रिपोर्ट उन्हें किशन लाल की मिलती है।

गौरतलब है कि स्वास्थ्य महकमा कोरोना के बढ़ते मामले और सरकार का जांच में तेजी लाने के दबाव से जूझ रहा है। बावजूद इसके उसकी लापरवाही बदस्तूर जारी है। आलम यह है कि कोरोना की जांच किसी और की हो रही है ओर जांच रिपोर्ट किसी और का मिल रहा है। इसके पीछे जहां स्वास्थ्य महकमे की लापरवाही है, वहीं लोगों का दो आईडी व फोन नबंर देने की वजह से भी ऐसा हो रहा है। इसके साथ ही कई मामले ऐसे हैं, जहां जल्दबाजी में मरीज का गलत नंबर दर्ज हो जा रहा है।

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लखनऊ के जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश भी इस गलती को स्वीकार करते हुए बतात हैं कि दोहरी आईडी और नंबर दर्ज करने में लगभग 15 फीसदी तक गलती की जा रही है। उन्होंने कहा कि गुरुवार को राजधानी में 353 नए संक्रमित पाए गए हैं, जिनमें 45 से 50 मामले दोहरी आईडी के चलते हैं। उन्होंने कहा कि इसके लिए अस्पताल और निजी लैब को चेता दिया गया है कि ऐसी गड़बड़ियों से बचें। बताया जा रहा है कि पोर्टल पर एक बार जो नंबर जुड़ जाता है, उस नंबर पर अगर किसी और की जांच होती है तो रिपोर्ट उसी आईडी पर दिखता है। ऐसे में मरीज का नंबर फीड करते समय थोड़ी सी चूक से गलत रिपोर्ट दिखने लगता है।

बता दें कि इसी तरह का मामला मेरठ से भी सामने आ चुका है, जहां महिला की मौत के 16 दिन बाद स्वास्थ्य महकमा कागजों में मृत महिला का सैंपल लेता है और उसी दिन ही उसकी रिपोर्ट भी तैयार करके पोर्टल पर अपलोड कर दिया जाता है। इतना ही नहीं कई ऐसे मामले आए हैं, जहां जांच कराने पहुंचे मरीज की जांच भी नहीं हुई और अगले दिन उसकी रिपोर्ट आ गई। ऐसी अंधेरगर्दी में जांच रिपोर्ट कितनी सही आ रही यह भी सोचने वाली बात है। फिलहाल स्वास्थ्य विभाग इन दिनों काफी दबाव में है ओर दबाव में गलती होना स्वाभाविक है।

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