शुभम मिश्रा/शिवा मिश्रा
लखनऊ। पूरे देश में कोरोना का संक्रमण इस समय अपने पीक पर है। हर तरफ त्राहि—त्राहि मची हुई है। किसी की जांच नहीं हो पा रही है, तो किसी को इलाज नहीं मिल पा रहा है। कितने ऐसे हैं जिनकी जान समय से आक्सीजन न मिल पाने की वजह से चली गई। इस पूरी व्यवस्था के लिए लोग सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए कोसने में लगे हुए हैं। वह ऐसा मान बैठे हैं कि ऐसा करने से उनकी कोई जिम्मेदारी नहीं बनती। जबकि सच है बिना सहभागिता के इस महामारी से पार नहीं पाया जा सकता। कोरोना को हराने के लिए सबसे पहले हमें अपने कदम को घर के अंदर ही सीमित करना होगा। सरकार लाख प्रयास कर ले लेकिन जब तक हम अनावश्यक रूप से घर से बाहर निकलना बंद नहीं करेंगे, इसे महामारी से पार पाना मुश्किल है। कुछ लोगों को लगता है कि मरीज को समय से अस्पताल में जगह मिल गई होती तो जान बच जाती है। ऐसे लोगों के इस भ्रम को तोड़ने के लिए newschuski.com की तरफ से एक स्ट्रिंग आपरेशन किया गया है, जिसकी हकीकत जानकर शायद आपका भी यह भ्रम दूर हो जाए।
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वार्ड में ताला डाल कर बेड फुल होने का दावा
उत्तर प्रदेश में इतनी विकराल स्थिति पर मुख्यमंत्री का यह बेशर्मी भर बयान की प्रदेश में कोरोना संक्रमण के ज्यादा मामले नहीं है, यह बताने के लिए काफी है कि हमारी सरकार जनता की सुरक्षा को लेकर कितनी सतर्क है। जब शासन स्तर से ऐसे बयान आएंगे तो प्रशासनिक स्तर पर आपको क्या सहूलियत मिलेगी इसका सहज अंदाजा लगाया जा सकता है। लखनऊ के शहीद पथ स्थिति हॉस्पिटल डॉ. आरएमएलआईएमएस कोविड सेंटर में भर्ती मरीज के जरिए वह की दुर्व्यस्था की जो तस्वीर हाथ लगी है वह पूरी व्यवस्था की पोल खोलने के लिए काफी है। हॉस्पिटल के चौथी मंजिल पर बने कोविड वार्ड—सी, बेड नंबर 1—3 में मरीज भर्ती करने की जगह बाहर से ताला डाल दिया गया है। ऐसे समय में जब इलाज पाने के लिए पूरे देश में हाहाकार मचा हुआ है, वहीं अस्पताल प्रशासन वार्ड में ताला लगाकर जगह न होने का दावा कर रहे हैं।
बेडों को दूसरे वार्डों में छिपाया गया
संकट की इस घड़ी में जिस अस्पताल की तरफ आशा भरी नजरों से लोग देख रहे हैं, उनकी हालत यह कि मरीजों को भर्ती न करना पड़े इसलिए वह अस्पताल के अंदर के बेडों को दूसरे वार्डों में छिपा दिया गया है। डॉ. आरएमएलआईएमएस कोविड सेंटर की ऐसी तस्वीर हाथ लगी है। कोविड सेंटर में भर्ती मरीजों की मानें तो कुव्यवस्था की शिकायत करने पर अस्पताल कर्मियों की तरफ से यह कहा जाता है कि उनकी जहां शिकायत करनी हो कर दें। हम लोग मजबूरी की ड्यूटी कर रहे हैं। सीनियर डॉक्टर कोविड में ड्यूटी करने से मना कर चुके है, जिसके चलते नए लोगों से जबरनी ड्यूटी कराई जा रही है।
वार्डों में लगे बोतल से सेनेटाइजर गायब
कोविड सेंटर के वार्डों में मरीजों के लिए लगे सेनेटाइजर की बोतल से सेनेटाइजर गायब है। ऐसे में मरीजों में संक्रमण का खतरा और बढ़ जाता है।
नाश्ते की टेबल पर लावारिश हालत में पड़ा यूरिन का सैंपल
अस्पताल के अंदर मरीजों की देखभाल कितनी सावधानी से किया जा रहा है, इसका अंदाजा आप इस तस्वीर को देखकर समझ सकते हैं। जांच के लिए मरीज के यूरिन का लिया गया सैंपल नाश्ते के टेबल पर लावारिश हालत में रखकर जिम्मेदार लोग भूल गए हैं। ऐसे में मरीज की रिपोर्ट क्या आती होगी, किस आधार पर इलाज होता होगा यह बड़ा सवाल है। मरीजों की मानें तो खून व यूरिन का सैंपल किस लिए गया और रिपोर्ट क्या आई इसके बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं दी जाती है।
टायलेट रूम की हालत दयनीय
कोविड सेंटर में भर्ती मरीजों को न सिर्फ इलाज की समस्या से दो—चार होना पड़ रहा बल्कि अन्य दुर्व्यस्था से भी जूझना पड़ रहा है। तस्वीरों में देखें टायलेट की टूटी सीट और गंदगी का लगा अंबार।
डिस्चार्ज मरीज को दवा की जगह दे दिया मास्क
डॉ. आरएमएलआईएमएस कोविड सेंटर में लापरवाही का आलम यह है कि डिस्चार्ज किए गए मरीज को थैले में दवा की जगह आक्सीजन लगाने वाला मास्क दे दिया गया। मरीज की तरफ से दवा की मांग करने पर कंट्रोल रूम से यह जवाब दिया गया कि जो मिल गया है वह काफी है। दवा बाहर से खरीद लो। अस्पताल गेट पर मरीज का हंगामा देखकर जब कंट्रोल रूम से बात की गई तो उधर से जवाब मिला कि मास्क को गार्ड के पास जमाकरा दिया जाए और मरीज बाहर से दवा खरीद ले।
इन सब हालातों के बीच यह जरूरी नहीं है कि आपको अस्पताल में बेहतर इलाज मिल जाए। धरती के भगवान भी अपनी जिम्मेदारी से ऊब चुके हैं। ऐसे में आपको अपनी और अपने आपनो का जान बचाना है, तो वक्त है ठहर जाइए। बाहर स्थिति बहुत दयनीय है। सरकार को कोसना आसान है, पर व्यवस्था का सामना करना बहुत ही मुश्किल है। क्योंकि आक्सीजन की कालाबाजारी, दवा के दोगुने दाम तथा कालाबाजारी, अस्पताल में बेड फुल होने की बात कोई और नहीं हम आप कर रहे हैं।
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