रांची। सरकारी काम यानि भ्रष्टाचार का नया मुकाम। सरकारी स्तर का कोई काम हो, बिना भ्रष्टाचार के नहीं होता। यह काम देने और कराने वाले दोनों को पता होता है। लेकिन निर्माण कार्य में कितनी धांधली बरती गई है, उसका खुलासा तब होता है, जब कोई घटना हो जाती है। चक्रवाती तूफान यास (YAAS) के असर के चलते दो दिन से लगातार जारी बारिश ने झारखंड विधानसभा (Jharkhand Assembly) भवन की सूरत को बिगाड़ दिया है। साथ ही राज्य सरकार को यहां के भ्रष्टाचार का आइना दिखा दिया है। झारखंड विधानसभा का भवन दो दिन की बारिश भी ठीक से नहीं झेल पाया। जारी बारिश के बीच भवन के फर्स्ट फ्लोर के पश्चिमी हिस्से के कॉरिडोर की सीलिंग धराशायी हो गई है।
राहत की बात यह कि उस समय यहां कोई नहीं था, अगर सामान्य दिनों की तरह कामकाज चल रहा होता तो बड़ी घटना हो सकती थी। जानकारी के अनुसार पश्चिमी हिस्से में विधानसभा सचिव के कक्ष के करीब यह घटना हुई है। बता दें कि यहां विधानसभा सचिव के कार्यालय कक्ष के साथ-साथ कई अधिकारियों के कक्ष हैं। अन्य राज्यों की तरह झारखंड में भी निर्माण कार्यों की गुणवत्ता को लेकर समय-समय पर सवाल उठते रहते हैं। इतना ही नहीं पिछले दिनों काची नदी पर 10 करोड़ रुपए की लागत से बने पुल के उद्घाटन से पहले ढह जाने की घटना ने राज्य के सरकारी सिस्टम का पोल खोलकर रख दिया था।
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झारखंड विधानसभा भवन की सीलिंग के टूटने की खबर को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं। सूत्रों की मानें तो विधानसभा का नया भवन 465 करोड़ रुपए की लागत से बना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 39 एकड़ भू-भाग में फैले इस विधानसभा का उद्घाटन किया था। यह भवन चार वर्षों में बनकर तैयार हुआ था। इसके बनने के समय से ही इसके निर्माण की गुणवत्ता पर सवाल उठने शुरू हो गए थे। इसके लिए कई बार विधानसभा की तरु से सरकार को पत्र भी भेजा गया है। वहीं सीलिंग के गिरने के संदर्भ में विधानसभा सचिव महेंद्र प्रसाद का कहना है कि भवन निर्माण विभाग को पत्र भेजकर मरम्मत कराने के साथ-साथ भवन में जलजमाव और फा/ल्स सीलिंग की स्थिति का जायजा लेने के लिए कहा गया है।
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