अलवर। एलोपैथी पर टिप्पणी करने के बाद बाबा रामदेव की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। एक तरफ जहां इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने कड़ी नाराजगी जताते हुए उनपर 1000 रुपए के मानहानि का केस किया है। वहीं केंद्र और राज्य सरकारें भी रामदेव के खिलाफ हो गई हैं। केंद्रीय स्वस्थ्य मंत्री हर्ष वर्धन ने बाबा रामदेव को पत्र भेजकर बयान वापस लेने का जहां दबाव बनाया वहीं राजस्थान सरकार एक्शन में आ गई है। राजस्थान सरकार ने पतंजलि के सरसों के तेल में मिलावट की आशंका के चलते अलवर के खैरथल स्थित सिंघानिया आयल मिल को सील करा दिया है। अलवर जिलाधिकारी के नेतृत्व में इस कार्रवाई को अंजाम दिया गया है। हालांकि इस पूरी कार्रवाई का वीडियोग्राफी भी कराई गई है।

बता दें कि बाबा रामदेव अपने बयान पर अभी भी कायम हैं। उन्होंने बकायदा पत्र जारी कर अपने बयान को गलत साबित करने की चुनौती भी दी है। लेकिन सरकार और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) की तरफ से बाबा रामदेव के दावे का गलत साबित करने की जगह उनपर कार्रवाई की मांग यह दर्शाता है कि इस देश में सच बोलना गुनाह है। मेडिकल स्तर पर मरीजों से किस तरह लूट मची हुई है यह बात किसी से छिपा नहीं है। लोग मेडिकल सेवा से त्रस्त भी हैं। ऐसे में बाबा रामदेव ने मेडिकल व्यवस्था पर सवाल उठाकर उन लोगों के लिए विलेन बन गए हैं, जो लगातार मेडिकल सिस्टम में सुधार की मांग कर रहे हैं।

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वहीं रामदेव के समर्थकों का कहना है कि राजस्थान सरकार की तरफ से सरसों के तेल मिल पर की गई कार्रवाई बाबा को परेशान करने के लिए किया गया है। वरना केवल मिलावट के अशंका के चलते कभी कोई फेक्ट्री को सील नहीं किया गया है। प्रशासन फैक्ट्री से सैंपल ले लिया है, जांच रिपोर्ट आने के बाद कार्रवाई करनी चाहिए थी। यहां कार्रवाई पहले हो गई है, जबकि जांच रिपोर्ट आना बाकी है। वहीं खबर है कि बाबा रामदेव के खिलाफ पश्चिम बंगाल में भी मुकदमा दर्ज कराया गया है।

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