प्रचेता पुत्र ब्रह्मर्षि वाल्मीकि

ब्रह्मर्षि वाल्मीकि त्रिकाल दर्शी हैं। सतयुग, द्वापर और त्रेता तीनों युगों में उनकी उपस्थिति के शास्त्रीय प्रमाण हैं। जगज्जननी भूमिजा सीता जी के चरित्र और गुणों के साथ राम के…

Kahani: ऑटो वाले की सात्विक सोच

Kahani: एक व्यक्ति ऑटो से रेलवे स्टेशन जा रहा था। ऑटो वाला बड़े आराम से ऑटो चला रहा था। एक कार अचानक ही पार्किंग से निकलकर रोड पर आ गई।…

Kahani: स्वभाव बदलने की जड़ी-बूटी

Kahani: बहुत समय पहले की बात है, एक वृद्ध संन्यासी हिमालय की पहाड़ियों में कहीं रहता था। वह बड़ा ज्ञानी था और उसकी बुद्धिमत्ता की ख्याति दूर-दूर तक फैली थी।…

Kahani: लहरों से डरना नहीं

Kahani: एक समय की बात है, एक महात्मा नदी किनारे खड़े होकर प्रकृति को निहार रहे थे। कल-कल नदियों का बहना, ठण्डी-ठण्डी हवाएं और पेड़ के पत्तों का झूमना, बहुत…

Poem: जाग रहा भारत फ़िर से

जाग रहा भारत फ़िर से हम जागें, कर पायें सद कर्म प्रभु से यह मांगें। पावन अतीत की थाती का गौरव ले, स्वर्णिम भवितव्य रचायें भ्रम भागें।। गति में मन…

Kavita: माँ सुबह का सूरज होती है

माँ भोर में उठती है कि माँ के उठने से भोर होती है ये हम कभी नहीं जान पाये। बरामदे के घोसले में बच्चों संग चहचहाती गौरैया माँ को जगाती…

Kahani: समर्पण का भाव

Kahani: एक बार एक बेहद ख़ूबसूरत महिला समुद्र के किनारे रेत पर टहल रही थी। समुद्र की लहरों के साथ कोई एक बहुत चमकदार पत्थर छोर पर आ गया। महिला…

Kahani: बूढ़े तोते की सीख, मुश्किल में न छोड़े साथ

Kahani: एक बार एक शिकारी शिकार करने के लिए जंगल में पहुंचा। उसने अपने तीर पर बहुत ही खतरनाक जहर लगाया और शिकार को निशाना बना करके उसने तीर को…

Pauranik Katha: कैकेयी को दंड

Pauranik Katha: एक दिन संध्या के समय सरयू के तट पर तीनों भाइयों संग टहलते श्रीराम से भरत ने कहा, “एक बात पूछूं भइया? माता कैकई ने आपको वनवास दिलाने…

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