रामपुर/बरेली: आजम खान (Azam Khan) के जौहर ट्रस्ट द्वारा संचालित रामपुर पब्लिक स्कूल की मान्यता लेने के लिए धोखाधड़ी करने के आरोप में अज्ञात के विरुद्ध दर्ज मुकदमे में पुलिस ने जांच में साल 2020 में आजम खान की पत्नी और एक क्लर्क को आरोपी बनाया था। दो वर्ष बाद साल 2022 में इस केस में सपा विधायक आजम खान को भी आरोपी बना दिया गया था। 27 माह से जेल में बंद आजम खान सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई अंतरिम जमानत पर जेल से छूटे थे। अंतरिम जमानत के आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने संबंधित अदालत से 15 दिन में रेगुलर बेल (Azam Khan gets bail) लेने के आदेश दिए थे। इस मामले में अब आजम खान को स्थानीय अदालत ने रेगुलर बेल (Azam Khan gets bail) दे दी है।
आजम खान के वकील जुबेर अहमद के मुताबिक यह मामला मार्च 2020 का था इसमें एक एफआईआर दर्ज हुई थी, जोकि आरपीएस का एफलिशन किया गया हैं। बेसिक एजुकेशन ऑफिसर्स के यहां तो वो ऑन द बेसिस ऑफ फ्रेंड लैंडली ओबटेन किया गया उस सर्टिफिकेट को और उस एफआईआर में जो अन नेम थी, यूनिकोर्स ऑफ इन्वेस्टिगेशन डॉ. ताजीन फातिमा आजम खान की पत्नी ने उन्हें क्यूज बनाया। इसके अलावा एक कलर को एक यूज बनाया गया। चार्टशीट सिंतबर, 2020 में फाइल हो गई। तकरीबन 2 साल बाद एक एप्लीकेशन फर्स्ट इनफॉर्म में देने के बाद केस में आजम खान भी मुलवविस है। उन्हें 120बी का मुलजिम बनाया गया है।
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अधिवक्ता का सुप्रीम कोर्ट के सामने यह कहना था क्योंकि बहुत सारे मुकदमे उनके खिलाफ दर्ज किए गए हैं। सब में बेल मिल गई और एक आखिरी मैटर जो था, इलाहाबाद हाई कोर्ट में पेंडिंग था। 312/2019 वाले मामले में जब फैसला आने वाला था, तो उस फैसले आने से ठीक पहले इनको इस केस में आरोपी बनाया गया। यह आरोपी बनाने का आधार नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी बात सुनने के बाद अपना एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी पावर का इस्तेमाल करते हुए उन्हें अंतरिम बैल देवदी थी। इस मामले में कोर्ट ने यह कंडीशन लगाई थी कि दो सप्ताह के अंदर आपको कॉम्पिनेंट कोर्ट में बेल लगाना है। उस कंप्लायंस में आजम खां की ओर से बैल एप्लीकेशन लगाई गई थी। हॉनरेबल स्पेशल कोर्ट एमपी एमएलए में और वहां पर आज सुनवाई के बाद उन्हें रेगुलर बेल दे दी है।
आजम खां के अधिवक्ता ने कहा कि वो आर्डर अब देखने के बाद कितने शोरिटी बोंड, क्या फरदर कंडीशन है, उसका कंप्लायंस करेंगे। आर्डर अभी उन्होंने पढ़ा नहीं है, लेकिन सूचना उन्हें मिल गई है। कोर्ट से “इवेन ग्रांटेड बैल”। जाहिर है अगर बेल नहीं होती तो उन्हें इलाहाबाद हाई कोर्ट जाना पड़ता।
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