यूपी विधानसभा चुनाव का सुरूर अपने चरम पर है। ऐसे में राजनीतिक दलों और उनके नेताओं की तरफ से विकास के तमाम वादों की झड़ी एकबार फिर लगाई जाने लगी है। लेकिन इतने वर्षों बाद सबसे बड़ा सवाल यह अभी भी बना हुआ है कि क्या विधानसभा क्षेत्रों में लोकतंत्र लागू है। इसका अगर जवाब ढूंढेंगे, तो पाएंगे कि कई विधानसभा क्षेत्रों में लोकतंत्र का वजूद तक नहीं है। इन्हीं सब मुद्दों पर newschuski.com के संवाददाता प्रकाश सिंह ने गोंडा जनपद के करनैलगंज से कांग्रेस के भावी प्रत्याशी कछनपुर गांव निवासी एडवोकेट त्रिलोकी नाथ तिवारी से बात की। त्रिलोकी नाथ तिवारी ने क्षेत्रवाद, जातिवाद, गुंडाराज और क्षेत्र में व्याप्त जंगलराज पर खुलकर अपना पक्ष रखा। जानते हैं त्रिलोकी नाथ तिवारी से प्रकाश सिंह की हुई खास बातचीत के कुछ अंश…
- आप राजनीति में कब से है?
1994 से मैं गांव की राजनीति में हूं, इससे पहले मैं यूनिवर्सिटी में एनएसवाई से जुड़ा था।
- राजनीति में न होते तो क्या करते?
मैं वकालत तो कर ही रहा हूं।
- उत्तर प्रदेश में लंबे समय से कांग्रेस सत्ता से दूर रही है। ऐसे में आपने कांग्रेस को ही क्यों चुना?
कांग्रेस में न तो जातिवाद है और न ही धर्मवाद, उसमें सिर्फ विकासवाद है और मानवतावाद है। कांग्रेस ने ही इस देश की सबसे पिछड़े क्षेत्रों को विकसित किया है। अंतिम पंक्ति में खड़े लोगों को कांग्रेस ने ही मूलभूत सविधाएं दीं। देश में सूई से हवाई जहाज बनाने का काम कांग्रेस पार्टी ने ही किया है। शिक्षा का मौलिक अधिकार, खाद्य सुरक्षा बिल, आरटीआई का अधिकार, गांवों में रोजगार कैसे मिले इसे भी कांग्रेस पार्टी ने ही दिया। कांग्रेस पार्टी ने बिना हर वर्ग के लिए काम किया है, इसलिए कांग्रेस सर्वोपरि है।
- पंचायत चुनाव में आपके परिवार के ही लोग चुनकर आते हैं, ऐसे में विधानसभा चुनाव लड़ने का आपका क्या उद्देश्य है?
मेरी उम्र 48 बर्ष के करीब है और यहां की राजनीति में 40 वर्षों से करीब दो घराना का वर्चस्व है। इनका क्षेत्र के विकास से कोई लेना देना नहीं है, केवल जनता को मूर्ख बनाते हैं। दोनों लोगों के तालमेल के चलते यहां परिवर्तन नहीं हो पा रहा है। ब्लाक प्रमुख का पद 30 वर्षों से कोई जान ही नहीं पा रहा है कि करनैलगंज में कौन ब्लाक प्रमुख है? किसी का बर्तन धोने वाला ब्लाक प्रमुख होता है, तो किसी का चारा काटने वाला ब्लाक प्रमुख हो जा रहा है। तीसरी बात जब क्षेत्र में निकलते हैं यह लोग तो कहते हैं कि इस बार या तो मैं जीतूंगा या तो ये जीतेंगे। तालमेल बिठाकर ये लोग पूरे क्षेत्र को गुलामी की मानसिकता से जकड़ लिए हैं। पूरे क्षेत्र सामंतवाद और गुंडई, बालू खोदवाना, गन्ने की दलाली करना कुछ लोगों का पुश्तैनी हो गया है। जबकि भारत में लोकतंत्र है, और क्षेत्र में भी लोकतंत्र होना चाहिए। इसलिए मैंने करनैलगंज विधानसभा को विकसित करने और समाज के अंतिम पंक्ति के लोगों के उत्थान के लिए राजनीति में आया हूं। पूर्व सांसद और विधायक कई तरह के भ्रष्टाचार करके विकास का सारा पैसा हड़प कर गए। क्षेत्र को भ्रष्टाचार और गुलामी से मुक्ति दिलाने के लिए मैंने विधानसभा चुनाव लड़ने का मन बनाया और क्षेत्र में परिवर्तन की लहर भी दिखाई दे रही है।
- आपकी नजर में कांग्रेस को सत्ता में वापसी के लिए क्या करना चाहिए?
कांग्रेस सत्ता में वापसी के लिए काम कर रही है। इसके लिए महिलाओं को 40 प्रतिशत दिया गया है, जो अब तक किसी सरकार ने नहीं किया है। वर्ष 2008 और 09 में कांग्रेस ने किसानों का कर्ज माफ किया। उसमें पार्टी ने न मुस्लिम देख न दलित देखा और न ही किसी जाति को देखा, सिफ किसान और भारतीय देखकर सबका कर्ज माफ किया। 73 हजार करोड़ रुपए कर्ज माफी में दे दिए। पार्टी ने फिर कर्ज माफी की घोषणा की है, सरकार बनते ही किसानों के समस्त कर्जे माफ कर दिए जाएंगे, शिक्षा फ्री हो जाएगी।
- उत्तर प्रदेश में प्रियंका नेतृत्व का पार्टी को कितना लाभ मिल सकता है?
पार्टी महासचिव और उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी के नेतृत्व का पार्टी को शत प्रतिशत लाभ मिल रहा है, इसमें कहीं से कोई संदेह नहीं है। प्रियंका के नेतृत्व में हम हर लड़ाई लड़ रहे हैं। आज प्रियंका गांधी के सवालों का जवाब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी नहीं दे पा रहे हैं। महिलाओं से दुष्कर्म, हत्याओं से दहशत का माहौल बना हुआ है। करनैलगंज के विधानसभा क्षेत्र के विशुनपुर में हत्या हुई यह सबको पता है। इसमें पूर्व मंत्री के समर्थकों ने एक निरपराध व्यक्ति की पीट पीट कर हत्या कर दी। हैरत की बात यह है कि जब उस व्यक्ति को मारा जा रहा था, घटनास्थल से महज 5 किमी की दूरी पर मुख्यमंत्री जनसभा कर रहे थे और दावा कर रहे थे कि अपराधियों के घरों पर बुलडोजर चलवा रहा हूं।
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- ‘लड़की हूं लड़ सकती हूं’ का जनता पर क्या प्रभाव पड़ रहा है। क्या इस नारे से पार्टी को लाभ मिलेगा?
‘लड़की हूं लड़ सकती हूं’ इसमें न कोई मुस्लिम है, न कोई दलित है, न कोई क्षत्रिय है और न कोई ब्राहमण है। यह भी महिलाएं हैं जो अपने अधिकार के लिए खड़ी हो रही हैं और 50 प्रतिशत की आबादी कांग्रेस के साथ है। ‘लड़की हूं लड़ सकती हूं’ नारे का लाभ पार्टी को जबरदस्त तरीके से मिल रहा है, जिससे योगी आदित्यनाथ भी बौखला गए हैं।
- सपा के पूर्व मंत्री और वर्तमान विधायक के बारे में आप कुछ कहना चाहेंगे।
इन्हीं लोगों ने मिलकर पूरे क्षेत्र को लूटा है। बंधे का धंधा बन गया है। सपा के पूर्व मंत्री ने बंधे का धंधा किया। वर्ष 2002 से चुनाव जीतने के बाद शुरू किया और आज तक वह बंधा कटता चला आ रहा है। वर्तमान विधायक ऐसे हैं, जो कभी किसी से मिलते ही नहीं। 12 करोड़ रुपए विधायक निधि का डकार गए, जबकि पीड़ित कोई जाता है तो उसे बिना मिले ही लौटना पड़ जाता है। पूर्व विधायक और वर्तमान विधायक राशन की दलाली करने से भी बाज नहीं आ रहे हैं। कोर्टदारों से बात करने पर कुछ ने बताया कि उन्हें विधायक के यहां राशन भिजवाना पड़ता है, इसलिए कम राशन देना मजबूरी है। आलम यह है कि पूर्व और वर्तमान विधायक जनता के बीच अपने नाम और काम पर वोट मांगने की हैशियत में नहीं हैं। मोदी और योगी के नाम पर वोट मांगते हैं।
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