Lucknow News: बक्शी का तालाब स्थित राजकीय बीज विक्रय केन्द्र पर एक दिवसीय किसान गोष्ठी एवं तिलहन मेला का आयोजन किया गया। चंद्रभानु गुप्त कृषि स्नातकोत्तर महाविद्यालय के कृषि विशेषज्ञ डॉ सत्येंद्र कुमार सिंह ने आधुनिक तकनीक से खेती पर जोर देते हुए कहा कि मौसम में परिवर्तन हो रहा है और वातावरण शिफ्ट हो रहा है, ऐसे में किसानों को अपने बुवाई के समय में परिवर्तन करना होगा।
उन्होंने बताया कि वातावरण का तापक्रम 10 प्रतिशत के आसपास तथा 90 प्रतिशत नमी है जो कि आलू, टमाटर, बैंगन तथा सरसों की फसल को अधिक प्रभावित कर रही है। कम तापक्रम और अधिक आद्रता के कारण आलू पर पछेती झुलसा बहुत तेजी से बढ़ेगा। किसानों को सतर्क रहने की सलाह दी और कहा कि यदि आपकी फसल पर कहीं-कहीं पर जले जैसे पौधे दिखाई दें, तो तुरंत फफूंदीनाशक कार्बेंडाजिम 12 प्रतिशत तथा मैनकोज़ेब 63 प्रतिशत की 3 ग्राम मात्रा को 1 लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करने की सलाह दी। यह भी बताया कि बहुत अधिक खेत में नमी होने पर फफूंदीनाशक का छिड़काव न करें। अपने व्याख्यान में डॉ सत्येंद्र ने बताया कि सरसों की फसल पर जब वातावरण का तापक्रम 6 से 8 डिग्री होता है, तो फूल एवं फलिया अधिक प्रभावित होती हैं।
इस समय सरसों की फसल पुष्पन तथा फली बनने की अवस्था पर है अधिक नुकसान होने की संभावना है, ऐसी स्थिति पोटैशियम नाइट्रेट एक ग्राम को 1 लीटर पानी कि दर से घोल बनाकर छिड़काव करें, जिससे फलियों में दाने भी अधिक बनेंगे और तेल प्रतिशत पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। सरसों की फसल पर गंभीर रूप से सफेद रतुवा बीमारी फैल रही है, किसान को सचेत रहने को कहा और सलाह दी कि जब सरसों की निचली पत्तियों पर सफेद धब्बे बनने लगे तथा पत्तियां गुलाबी रंग की हो जाए और पत्तियां पेड़ से तेजी झड़ने लगे और पौधे की कई पत्तियां अथवा शाखाओं पर कवक जमने लगे तो समझ लेना चाहिए कि सफेद रतुआ बढ़ रहा है।
इसको प्रबंधित करने के लिए मेटैलेक्सिल 4 प्रतिशत तथा मैनकोज़ेब 62 प्रतिशत का छिड़काव करने की सलाह दी दोनों रसायनों की 3 ग्राम मात्रा को 1 लीटर पानी की दर से छिड़काव करने से इस बीमारी से बचा जा सकता है। जैसे-जैसे गर्मी बढ़ेगी सरसों की फसल पर मांहू कीट बहुत तेजी से बढ़ता है। मांहू पत्तियों से रस को चूसता है और रस चूस लेने से पत्तियां हल्की हो जाती हैं। इस कीट की निम्फ और प्रौढ़ अवस्था अपने मुखांग से पत्तियों का रस चूसती है और शरीर से एक लसलसा पदार्थ निकालती है, जिससे पौधों पर कवक की बीमारी बढ़ जाती है।
मांहू कीट को प्रबंधित करने के लिए इमिडाक्लोप्रिड की 0.5 एमएल मात्रा को 1 लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करने की सिफारिश की। प्रमुख रूप से केला, पपीता तथा नये रोपित आम के पौधों को अधिक ठंड से बचाने के लिए हल्की सिंचाई करने की सलाह दी तथा छोटे पौधों के ऊपर पुवाल से ढकने को कहा। डॉ सिंह ने बताया कि इस समय गेहूं की फसल पर पाले का अधिक प्रभाव पड़ रहा है। इससे बचाव के लिए कैल्शियम क्लोराइड के 2% घोल का छिड़काव करना चाहिए और यह भी बताया कि जैसे-जैसे गर्मी बढ़ेगी गेहूं की फसल में सुधार होगा।
अधिक तापक्रम होने पर गेहूं की फसल प्रभावित भी हो सकती है। उन्होंने बताया कि जब गेहूं की फसल पुष्पन अवस्था में हो उस समय पोटेशियम नाइट्रेट का छिड़काव करना चाहिए, जिससे गेहूं का उत्पादन बढ़ता है। अधिक तापक्रम से गेहूं को बचाने के लिए 2 ग्राम पोटैशियम नाइट्रेट को 1 लीटर पानी की दर से छिड़कना चाहिए। मेला एवं गोष्ठी में सहायक विकास अधिकारी कृषि विजय शंकर सिंह ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं के बारे में बताया।
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चिनहट ब्लाक के सहायक विकास अधिकारी विजय शंकर मिश्रा ने जैविक खेती और प्राकृतिक खेती पर चर्चा की। बख्शी का तालाब बीज केन्द्र प्रभारी प्रमोद यादव ने बीज केंद्र पर उपलब्ध कीटनाशक फफूंदी नाशक एवं खरपतवारनासी की उपलब्धता की जानकारी दी। तकनीकी सहायक राहुल गुप्ता ने जैविक कीटनाशकों के द्वारा कीटों का प्रबंधन एवं उनकी उपयोगिता पर चर्चा की तथा केंद्र पर उपलब्ध जैविक कीटनाशक तथा रासायनिक कीटनाशकों की जानकारी दी। तकनीकी सहायक एसएस गगन ने कार्यक्रम की संयोजकता की।
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इस अवसर पर एसडीएयूओ लखनऊ शैलेंद्र कुमार सिंह, तकनीकी सहायक दीपक यादव, दीन दयाल यादव, फईम अख्तर, सिकन्दर यादव, पवन सिह, मोहिनी सैनी, कोमल यादव क्षेत्र के प्रगतिशील किसान लालता सिंह, ओपी मिश्रा, मकरंद सिंह, अमरेंद्र सिंह, कृष्ण चन्द रावत, अमर सिंह यादव, चंद्रविरेश सहित 150 से अधिक किसानों ने हिस्सा लिया सभी किसानों को ठंडक से फसलों के बचाव हेतु तकनीकी लेख वितरित किए गए। तिलहन मेला एवं किसान गोष्ठी का आयोजन उप जिला कृषि अधिकारी एबी मिश्रा द्वारा किया गया।
-नवनीत वर्मा की रिपोर्ट