Viral: हर किसी को स्वास्थ्य, सुरक्षा और शिक्षा उपलब्ध कराना सरकार की जिम्मेदारी होती हैं। लोग कितने सुरक्षित हैं हर किसी को पता है। शिक्षा का आलम यह है कि सरकारी स्कूल में लोग बच्चे स्वेच्छा से नहीं बल्कि मजबूरी में भेजते हैं। रही बात चिकित्सा की तो कोरोना काल के दौरान उसकी भी कलई खुल गई है। सरकार के लाख प्रयासों के बावजूद हमारे सामने कई ऐसी तस्वीरें आई जिससे पूरी मानवता शर्मसार हुई। इसके बावजूद भी सरकारें बेहतर चिकित्सा सुविधा के दावे करते रहे। ऐसी एक तस्वीर असम की निहारिका दास की सामने आई है जो हमारी व्यवस्था और मानवता दोनों पर करारा तमाचा है। कही से कोई सहयोग न मिलने पर निहारिका दास से कोरोना पॉजिटिव ससुर को अकेले पीठ पर लाद कर गाड़ी तक ले गईं और अस्पताल पहुंचाया।

कहने को हर किसी को एक कॉल पर एम्बुलेंस मिल जाती है। लेकिन एंबुलेंस पाने के लिए आपको कितनी मेहनत व इंतजार करना होगा इसका एहसास तब होता है, जब आपको पास्तव में एंबुलेंस की जरूरत पड़ जाती है। हालांकि निहारिका दास ने ससुर के प्रति जो सेवा भाव दिखाया है वह अपने आप में मिसाल हैं। बुढ़ापे में जहां लोगों का ठिकाना घर की जगह वृद्धा आश्रम होता जा रहा है, बहू की पीठ ससुर का होना यह दर्शाता है कि भारत में आदर्श नारी अभी भी हैं। निहारिका दास कहती हैं भगवान ऐसा दिन किसी को न दिखाएं।

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असम के नागांव के राहा इलाके की रहने वाली निहारिका दास के 75 वर्षीय ससुर की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद मदद को कोई आगे नहीं आया। एंबुलेंस भी नहीं मिली। निहारिका ने किसी तरह से एक गाड़ी की व्यवस्था की। लेकिन गाड़ी तक ससुर को कोई पहुंचाने वाला जब नहीं मिला तो निहारिका ने उन्हें पीठ पर लादकर गाड़ी तक लाईं और फिर अस्पताल पहुंचाया।

जानकारी के मुताबिक निहारिका के ससुर पान सुपारी बेचने का काम करते हैं। निहारिका के मुताबिक 2 जून को उनके ससुर के अंदर कोरोना के लक्षण दिखने लगे थे। इसके बाद निहारिका ने किसी तरह आटो की व्यवस्था की और किसी तरह अपने ससुर को अस्पताल पहुंचाया। निहारिका कहतीं हैं कि मेरे ससुर काफी कमजोर महसूस कर रहे थे, वह खड़े भी नहीं हो पा रहे थे। काम के सिलसिले में मेरे पति सिलीगुड़ी में हैं। हमारे घर के पास की गली संकरी थी, जिससे आटो घर तक नहीं जा सकता था। ऐसे में मेरे सामने अपनी पीठ पर लाद कर ले जाने के सिवाए और कोई चारा नहीं था।

फिलहाल निहारिका की दिक्कतें अभी खत्म नहीं हुई। नजदीक के अस्पताल में ले जानें पर डॉक्टरों ने उन्हें कोविड सेंटर ले जाने के लिए कहा जो 21 किलोमीटिर दूर है। हालांकि निहारिका ने किसी तरह अपने ससुर को कोविड सेंटर तक पहुंचा दिया है। निहारिका दास के पास उनका 6 वर्षीय बेटा भी है।

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